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12 विदूषक - (सामने की ओर निर्देश कर) यह प्रमदवन का द्वार है ।
प्रिय मित्र प्रवेश करें। पवनंजय - आगे से प्रवेश करो । (दोनों प्रवेश करते हैं) पवनंजय - (देखकर) अरे निश्चित रूप से नई तोड़ी हुई स्थल कमलिनी के पुष्प समूह
से गिरे हुए अत्यधिक आसय से जिसक) भूमिभाग सिंचित है, शुद्ध अन्त: पुर में भोली-भाली सुन्दर स्त्रियों के स्वयं सिंचन से जहाँ नवीन मन्दार का वृक्ष वृद्धि को प्राप्त है, अत्यधिक मधुपान के लम्पट भोरों के समूह से बिखरे गए नए विकसित सहकार (आम्र) पुष्प के गुच्छों के समूह से टपकते हुए मकरन्द की धूलिसमुह से आकाश रूपी आँगन जहाँ मुलाबी वार्ण का हो रहा है, मद से अत्यन्त शब्द करने वाले कोयलों के समूह की कूजन के कोलाहल निरन्तर जहाँ कामदेव जाग रहा है, सुन्दर विलामिनी स्त्रियों के बायें चरण कमल के प्रहार रूप अधिक लाड़ प्यार से निकलते हुए निरन्तर फूलों के गुच्छों में जहाँ लाल अशोक का वृक्ष पुलिकत हो रहा है पद के समूह से मन्थर सोता, मैना के पंखों से जहाँ के वृक्षों के शिखर कोमल हो गए हैं, सुखकर और शीतल मन्द पावन से इधर-उधर हिलने वाले हिम के जल कणों से आई स्पर्श वाले, वसन्त का समय आने से मनोहर प्रमदवन की विशेष रमणीयता आश्चर्यजनक है । यहां पर निश्चित रूप से - समीमवर्ती "मग छिद्र रहित कनैर के गिरे हुए फूलों के पराग से रंग गए हैं । चतुर्थांश वेदी के स्फटिक मणि निर्मित तटों पर सुषण का शोभा हो गई है । डेटालों से गिरे हुए फूलों से स्वयं रचे गए सुन्दर रत्न स्थलों वाले लतामण्डपों के
अन्दर प्रत्येक दिशा में क्रीड़ा संभोग शय्या बन गई है IPL विदूषक - यह वकुल उद्यान का द्वार है । यहाँ पर बैठकर उनकी प्रतीक्षा करें । पवनंजय - आप जैसा कहें
(दोनों बैठते हैं) पवनंजय - इतने समय तक अंजना को प्रमदवन भूमि में प्रविष्ट हो जाना चाहिए। (सोचकर)
यहाँ कामियों के हृदयों में क्रम से हजारों उत्कण्ठाओं से बा हजारों सोपान परम्पराओं पर काम अधिरोहण कर रहा है। क्योंकि ललनाओं का चित्त सुनकर देखने की शीघ्रता करने वाला होता है । अनन्तर देखकर समागम की प्रार्थना करने वाली चिन्ता का सेवन करता है । समागम पाकर पुन: विरह न होने के उपाय को चाहता है । यह कामोन्माद प्रत्येक कदम पर वृद्धि को प्राप्त होता हैं ॥10॥ (सुनकर) क्या प्रिया आ ही गई। यह उसका यथोयोग्य सुन्दर मणियों वाले मीरें के मनोहर शब्द से युक्त प्रवेश के समय के मङ्गल बाजे की ध्वनि सुनाई पड़ रही है ॥11॥
(अनन्तर अंजना और वसन्तमाला प्रवेश करती है) वसन्तमाला - राजकुमारी इधर से आइए, इधर से
(घूमती हैं)