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________________ रहता है। इस प्रकार के सूक्ष्म व गूढ़ प्रकृति के सुधार का सम्बन्धित व्यक्ति को संज्ञान नहीं होता, सिवाय संवेदनशील अथवा कमजोर व्यक्ति के। (३) जिन्सैंग का प्रभाव जिन्सैंग का प्रभाव (१) उसकी ली गयी मात्रा, (२) जिन्सँग के प्रकार- ये अलग-अलग चमक या शक्ति के होते हैं और (३) सेवन करने वाले व्यक्ति के शरीर पर निर्भर करता है। डेढ़ ग्राम जिन्संग का असर लगभग दस से सोलह घंटे तक रहता है। इस दौरान इसका प्रभाव धीरे-धीरे कम हो जाता है। इस कारण यह अधिक उपयुक्त होगा यदि अपने स्वास्थ्य के संरक्षण हेतु जिन्सैंग की डेढ़-डेढ़ ग्राम की मात्रा दिन में दो बार ली जाए। जो रोगी व्यक्ति हैं, वे अच्छा हो कि इससे अधिक मात्रा लें। (४) आभा मण्डल दिव्य दर्शन से देखा गया है कि अन्य खाद्यों और औषधियों के तुलना में जिन्सँग बहुत चमकीला होता है। पचास ग्राम लाल जिन्सँग पाउडर का आन्तरिकतम आभा मण्डल (Core or inmost aura) बहुत धना होता है, लगभग एक फुट से दो फुट व्यास का होता है और द्रव-स्वर्ण (liquid gold) जैसा दिखाई पड़ता है। बाह्य आभा मण्डल लगभग छह से आठ मीटर व्यास का होता है। जिन्सँग में बहुत मात्रा में प्राण ऊर्जा होती है तथा काफी मात्रा में कृत्रिम ऊर्जा (Synthetic ki) भी होती है। उप-नाभि चक्रों में कृत्रिम ऊर्जा का बहुत अधिक बढ़ जाना एक तो नाभि चक्र के अधिक सक्रिय हो जाने के फलस्वरूप होता है और दूसरे जिन्सँग के अन्दर ही निहित कृत्रिम ऊर्जा के कारण होता है। (५) स्वच्छीकरण, अधिक सक्रियकरण व ऊर्जीकरण प्रभाव चूंकि जिन्सँग भूरे से पदार्थ को निकालता है, इसलिए इसका स्वच्छीकरण (cleansing) प्रभाव पड़ता है। उपयोग हुई ऊर्जा के निष्कासन एवम् ताजा प्राण ऊर्जा को हजम करने के लिए यह अधिक अच्छा रहता यदि जिन्सैंग के सेवन के पश्चात् तुरन्त ही व्यायाम किया जाए। मुख्य चक्रों और वायवी शरीर (ऊर्जा शरीर) के अधिक चमकीले, अधिक बड़े और अधिक घने हो जाने के कारण, इसका सक्रिय करने और ऊर्जन करने का प्रभाव पड़ता है। इस कारण से शरीर के विभिन्न अंग जिनको मुख्य
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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