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________________ (ञ) C' ( 71, 76 ) /E7b G (तीन श्वसन प्रक्रिया तक) V (छह श्वसन प्रक्रिया तक) | ऊपर के चक्रों को 7 प्रभावित करता है। 7 द्वारा ऊपर के चक्रों का उपचार सुगम हो जाता है । (ट) C' (मस्तिष्क के दांए और बांए भाग पर कानों से थोड़ा ऊपर की तरफ) GOV C' j G~V C ( 8, 9, 10, 11, bh) GV / EG (प्रत्येक को लगभग तीन श्वसन प्रक्रिया तक ), V ( प्रत्येक को लगभग चार श्वसन प्रक्रिया तक). ev (एक श्वसन प्रक्रिया तक)। कई सप्ताहों के उपचार के पश्चात Eev का समय दो श्वसन प्रक्रिया तक धीरे-धीरे बढ़ाया जा सकता है। इससे मस्तिष्क के उपचार में सुगमता होगी। (ठ) (ड) (ढ) (ण) — चक्रों की पुनः जांच करें। वितरणशील झाड़-बुहार रोगी के पीछे के ओर से ऊपर से नीचे की ओर 11 से 1 तक और फिर 1 से ऊपर की ओर 11 तक लगभग दस-दस बार करें, फिर आगे की ओर से ऊपर से नीचे की ओर 11 से 2 तक और फिर 2 से ऊपर 11 तक लगभग दस-दस बार करें। वितरणशील झाड़-बुहार अत्यन्तावश्यक है, क्योंकि इससे ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है तथा मूल ऊर्जा (1 द्वारा ) व यौन ऊर्जा ( 2 द्वारा ) ऊपर के चक्रों को मिलती है। ऊपर के चक्रों को 1 व 2 की जो ऊर्जा प्राप्त होती है, वह उनके सुचारुपूर्वक कार्य करने के लिए आवश्यक है ! वितरणशील झाड़ बुहार करने के पश्चात् यदि आप पुनः ऊपर के चक्रों की जांच करें, तो आप पायेंगे कि वे पहले से काफी बड़े हो गये हैं। यह पद्धति मानसिक रूप से पिछड़े बच्चों और वयस्कों पर भी लागू की जा सकती है। 1 व 2 की पुनः जांच करें, आप पाएंगे कि वे आंशिक रूप से खोखले हैं। ऐसी दशा में, E (12) R करें। (त) C6/E W (सात श्वसन प्रक्रिया तक) 1 ५.५११
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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