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________________ मगर खोखलेपन से युक्त भी होता है। कानों के ऊपर मस्तिष्क का भाग आम तौर पर घनेपन से युक्त होता है। यदि बीमारी गम्भीर नहीं है, तो सक्षम उन्नत प्राणशक्ति उपचार द्वारा एक से पांच सत्रों में दिखाई देने वाला या काफी अधिक सुधार हो सकता है। (क) उपचार से पूर्व बहुत अच्छी प्रकार जांच करें तथा उसकी दशा का निरीक्षण करें। (ख) C (सामने के फंफड़े, बांया तथा दांया फेंफड़ा और फेंफड़ों का पिछला भाग)। रक्त की सफाई की तकनीक (देखिए अध्याय ६, क्रम १०, उपक्रम ३०) अपनाएं। इसके लिए E Lu ( Lub के माध्यम से) GOR (G, o, R की मात्रा का अनुपात लगभग चार G के, तीन ० के तथा सात R के श्वसन प्रक्रिया होनी चाहिए), तदुपरान्त स्थिरीकरण करके, Lu को बाहर की ओर से B द्वारा रंगकर सील करें। जब आप E0 करें, तो उंगलियों एवम् LC की नोक की दिशा रोगी के सिर की दिशा से दूर रहनी चाहिए. अन्यथा ० द्वारा सिर को क्षति पहुंच सकती है। यदि रोगी छाती के दर्द के रूप में प्रतिक्रिया अनुभव करता है, तो जब तक दर्द गायब न हो जाए, तब तक C 7 करें। इस दशा के हो जाने पर भविष्य में उपचार करते समय ऊर्जा के उपयोग के समय उपरोक्त रंगों से हल्के रंग का इस्तेमाल करें | आंतरिक अंगों की सफाई की तकनीक (देखिए अध्याय. ६, क्रम १०, उपक्रम २८) अपनाएं। (१) C6 (२) E of – B (एक श्वसन प्रक्रिया तक), G(तीन श्वसन प्रक्रिया तक), 0 (तीन श्वसन-प्रक्रिया तक), R (छह श्वसन-प्रक्रिया तक) (३) E 6b-- उक्त (२) के अनुसार BGOR (४) रोगी को लगभग तीन मिनट तक विश्राम दें ताकि प्रेषण की गई ऊर्जाएं अन्य चक्रों को साफ तथा ऊर्जित कर सकें । -
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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