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________________ (ङ) यद्यपि 7 अधिक गंदा न भी हो, तब भी अपने हाथ अथवा Lc द्वारा (Csix)' 7f 1G (च) CA/LC को पुनः धारण करके, 1 7b (छ) यदि रोगी अति धूम्रपान करता है, तो C' ( Lub और Lu के दाए एवम् बांए भाग पर), एवम् (CPT तथा Csix) 7b IG /E W (ज) 1 ( 1, 4, HR) (झ) दो-तीन महीने तक सप्ताह में दो-तीन बार उपचार करें। (१७) मल्टिपिल स्लियरोसिस- Multiple Sclerosis इस रोग में एक लम्बे समय में मस्तिष्क एवं रीढ़ की हड्डी की कोशिकाएं विविध प्रकार से अस्वस्थ होकर कड़ी हो जाती हैं। मैडिकल डॉक्टरों के अनुसार यह रोग केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र के शिरों अथवा ज्ञान तंतु तंत्रिकाओं (nerves) के बाहरी भाग (Myelin) तथा घवों के निशानों की दीर्घकालीन सूजन एवम् नष्टीकरण प्रक्रिया है और उन पर दाग पड़ जाने के कारण होता है। इसके फलस्वरूप हाथों और पैरों में कमजोरी हो जाती है, अपने स्वैच्छिक प्रक्रियाओं का समन्वय नहीं हो पाता, सुन्नपन होता है, आँखों में धुधलापन व दो प्रतिबिम्ब दिखाई पड़ना और कुछ अन्य लक्षण होते हैं। रोग बढ़ जाने पर स्मरण शक्ति समाप्त हो जाती है। __ इस रोगी का 6 बहुत अधिक सक्रिय, गंदा और सामान्यतया घनापन से युक्त होता है। प्लीहा पर खोखलापन होता है। रीढ़ की हड्डी वायवी रूप से गंदी होती है। 1 और 2 बहुत अति सक्रिय मगर खोखलापन से युक्त होते हैं। P गंदा होता है। 3 और 4 दोनों ही छोटे और खोखलेपन युक्त होते हैं। T4 द्वारा 3, 2, 1, P को सामान्य करना सुगम होता है। 7 थोड़ा सा कम सक्रिय होता है। 8 अधिक सक्रिय होता है मगर खोखलेपन से युक्त होता है। j गंदे होते हैं और उन पर घनापन हो सकता है। 9, 10, 11 तथा bh गंदे, कम सक्रिय और धनेपन युक्त होते हैं, किन्तु कभी-कभी 10 अधिक सक्रिय ५.५०८
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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