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________________ स्त्रियों में मूत्र मार्ग के संक्रमण द्वारा बुखार हो सकता है। इसके लक्षण वहां पर दर्द, मूत्र त्याग में कठिनाई, पेडू (pubic area) में दर्द और परेशानी और/जथवा पीढ़ के निचले हिस्से में दर्द है। (क) GS (पांच बार) (ख) (CSZ) Bf x पांच बार, F (ग) उक्त चरण (ख) x दस बार (घ) (CSZ) 6b x पांच बार, (ङ) उक्त चरण (घ) x दस बार (च) E 6- कुछ मिनटों तक (छ) C' (पेट का ऊपरी भाग, पेट का निचला भाग) (ज) गम्भीर संक्रमण की दशा में 1 5 सावधानी से (झ) (4, 11, a, e, H, h, k, S} -- H तथा s का स्थिरीकरण न करें। (ञ) यदि बुखार श्वास-संक्रमण के कारण है, तो ___T(9 या नाक, 8, 8, Lu तथा 7b) (नोट - Lu का ऊर्जन Lub के माध्यम से करें) (प) यदि बुखार गैस्ट्रो-आंत (gastro-intestinal) संक्रमण के कारण है, तो C' (L, उदर, छोटी आंत) एवम् T4 (फ) यदि बुखार मूत्र मार्ग के संक्रमण के कारण है, तो T2 और यदि पीठ के निचले भाग में दर्द है तो C' ( K, मूत्र वाहनियां)। इसके अतिरिक्त, रत्न को अपने हाथों से हटाकर, अपने हाथ से c 3 तीस बार करें-- यह रक्तचाप अधिक हो जाने की सम्भावना को कम करने के लिए है। (ब) यदि बुखार टौंसिल के कारण है, तो रत्नों द्वारा से T' ( j, 8, 8} (भ) उपचार के अगले कुछ दिनों तक दिन में दो बार उपचार करें।
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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