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(घ)
E (आंखें) (bh तथा 9 के माध्यम से ) रत्न का उपयोग न करें।
(ड) C' (सिर का AP) /E
(१३) संधिवात
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Arthiritis-- अध्याय १६, क्रम (४), (६), (१०)
GS तीन बार
―
(क)
(ख) C (1, p. 2, 4, 6, L)
(ग) यदि रिह्यूमैटोइड (Rheumatoid ) संधिवात है, तो C 5 / E धीरे और सावधानी से ! ज्यादा होने पर रक्तचाप बढ़ सकता है ।
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9 के E के समय
(घ) यदि बांह में प्रभाव है, तो ( a, e, H) और यदि पैर में प्रभाव है, तो T (h, K, S) – H तथा S का स्थिरीकरण न करें।
(ङ)
C' (AP) / E-- पांच से दस मिनट तक |
(च) अगले लगभग तीन माह तक उपचार को सप्ताह में तीन बार करें। बुखार Fever-- अध्याय ६, क्रम १० (३१) तथा अध्याय १०
(१४)
दिव्य दर्शन से देखा गया है कि बुखार के रोगी के समस्त शरीर पर ऊर्जा का खालीपन होता है और पतले भूरे से लाल रंग के आभामण्डल से घिरा होता है। 6 पर घनापन होता है और इसमें गंदी लाल ऊर्जा भरी होती है । इस ऊर्जा को निकालने तथा समस्त शरीर से भूरे से लाल रंग की रोगग्रस्त ऊर्जा को निकालने से बुखार बहुत शीघ्रता से कम हो जाता है। 1 को सीधे ऊर्जित नहीं करना, अन्यथा बुखार बढ़ जायेगा ।
७०-८० प्रतिशत केसों में बुखार श्वसन तंत्र अथवा पाचन तंत्र के संक्रमण के कारण होते हैं। यदि रोगी की नाक रुंधी हो, कफ हो या गला खराब हो और/अथवा सांस लेने में कठिनाई महसूस कर रहा हो, तो ये रोगी के श्वसन तंत्र के कारण हो सकता है। यदि उसके पेट में दर्द हो, उल्टी, पतले दस्त हों और / अथवा मल में रक्त हो, तो ये गैस्ट्रो- आंत के संक्रमण के कारण हो सकता है।
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