SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 965
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जिससे धड़कन तथा सीने में दर्द हो सकता है । रत्न को हृदय के पीछे अर्थात रीढ़ की हड्डी के नीचे हृदय के पीछे की तरफ रखें। आप रत्नों को चिकने पत्थरों (pebbles) के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं, वे अपेक्षाकृत सस्ते होते हैं। स्वच्छ स्फटिक मणि, गुलाबी स्फटिक मणि और अन्य रंगों के रत्नों का रोगियों के ऊपर रखने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। स्वच्छ स्फटिक मणि, गुलाबी स्फटिक मणि और हरे रंग के रत्नों का उपयोग अधिक सुरक्षित तथा सुगम है। यदि आप अन्य रंगों के रत्नों को इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो आपको उन्नत प्राण चिकित्सा उपचार में उच्च श्रेणी की कुशलता तथा दक्षता होना आवश्यक है। जब आप पवित्रीकृत रत्नों को रोगी के ऊपर रखें, तो रोगी की प्रतिक्रिया नियमित रूप से देखते रहिए । उसको कोई असाधारण सनसनी या अनुभव तो नहीं हो रहा है आदि । सावधानी बरतिए । इस विधि को उदाहरण मात्र के लिए चित्र ५.२५ में दर्शाया है । विधि संदृष्टि- इस प्रकरण में गंदी और रोगग्रस्त ऊर्जा को बलपूर्वक निकालने (Extract), सोखने (Absorb), छिन्न-भिन्न करने (Disintegrate) और फेंकने (Expel ) की संदृष्टि EADE द्वारा की गयी है, तदुपरान्त ऊर्जित करने (Energize) को E द्वारा की गयी है । उदाहरण के तौर पर यदि चक्र क पर स्फटिक का रत्न (Quartz Crystal) अथवा अमुक रंग का रत्न रखने और उसको चक्र य तथा शरीर के र, ल अंगों से EADE करने, तथा चक्र य, अंग र तथा समस्त शरीर को ऊर्जित करने (E) का निर्देश निम्नवत दिया गया है : य पर QC अथवा अमुक रंग का रत्न - EADE ( य, र, ल ) - E ( य, र तथा समस्त शरीर) (क) रोगी को लेटने और विश्राम करने के लिए कहें। (ख) रोगी को अपनी जीभ को तालु से लगाने के लिए कहें । ५.४९३
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy