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(ख) एक्सट्रैक्टर रत्न को बलपूर्वक रोगग्रस्त ऊर्जा आदि को निकालने के लिए
पर्याप्त समय दोजिए--- Allow enough time for the Extractor to work एक्सट्रैक्टर रत्न रोगग्रस्त ऊर्जा आदि को निकालने का कार्य एक निश्चित गति से ही कर सकता है, इसलिए उसको अपना काम समाप्त करने के लिए पर्याप्त समय दीजिए।
उदाहरण के तौर पर, यदि आपको अत्यधिक चिन्ता या तनाव है, तो लेट जाइए और अपने 6 पर हरा रत्न रखकर, उसको यह निदेश तीन बार दीजिए कि वह आपके 6 तथा रामस्त शरीर से समस्त तनाव की एवम रोगग्रस्त ऊर्जा को बलपूर्वक बाहर निकाले, सोखे, टुकड़े-टुकड़े करे और फैंक दे। लगभग पन्द्रह-बीस मिनट तक विश्राम करने के बाद रत्न को यह बन्द करने के लिए तीन बार निदेशित कीजिए। आपको इसके बाद सम्भवतः अच्छा लगेगा। आप हरे रत्न के स्थान पर गुलाबी रत्न भी इस्तेमाल कर सकते हैं, क्योंकि गुलाबी रत्न का सुकून पहुंचाने तथा शान्ति देने का प्रभाव होता है।
यदि रोगी लेटा हुआ है, तो आप उसके शरीर के भिन्न-भिन्न भागों पर अनेक रत्न रख सकते हैं। और उन्हें उचित निदेश दे सकते हैं। इस विधि से उपचारक के लिए समस्त शरीर. भिन्न-भिन्न प्रभावित भागों और चक्रों की सफाई करना बहुत आसान हो जाएगा। यदि आपके पास कई रोगी हैं, तो सभी को लेट जाने के लिए कहिए और उनके ऊपर रत्नों को रखकर इस
प्रकार आप सफाई के कार्य को सुगमता से कर सकते हैं। (१३) विशिष्ट उपचार विधि- पवित्रीकृत रत्नों का समग्र उपयोगHealing by the use of consecrated Crystals
बहुत अधिक करने की अपेक्षा, यदि आप रोगी को लेट जाने को कहें, तदुपरान्त उसके समस्त शरीर के प्रभावित भागों और चक्रों पर अनेक स्वच्छीकृत एवम् पवित्रीकृत रत्न रखें। उन रत्नों को प्रभावित भागों/ चक्रों तथा समरत शरीर की सफाई करने और ऊर्जित करने के लिए निदेशित करें। बच्चों व गर्भवती महिलाओं पर इस विधि को न करें। पवित्रीकृत रत्न को 7f पर न रखें, अन्यथा हृदय पर काफी प्राण ऊर्जा का घनापन हो सकता है,