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( १२ ) विशिष्ट उपचार विधि रत्न को एक्सट्रैक्टर अर्थात रोगग्रस्त ऊर्जा आदि को बलपूर्वक निकालने के काम में प्रयोग- Using the Crystal as an
Extractor
चूंकि रत्न एक सूक्ष्म ऊर्जाओं का स्टोर करने वाला संयंत्र (Subtle energy condenser) होता है, यह दोनों प्राण ऊर्जा एवम् रोगग्रस्त ऊर्जा को सोख सकता है। चूंकि इसका प्रोग्राम निर्धारित किया जा सकता है, अतएव इसको किसी चक्र या प्रभावित भाग से गंदी ऊर्जा, रोगग्रस्त ऊर्जा, नकारात्मक सोच के आकार, नकारात्मक ऊर्जा, नकारात्मक परजीवियों को निकालने, सोखने, छिन्न-भिन्न करने और बाहर फेंकने के लिए निर्देशित किया जा उकता है। इसके लिए आप छोटा सा स्वच्छ पारदर्शक स्फटिक मणि अथवा हरा टूरमैलीन ( Green Tourmaline) इस्तेमाल कर सकते हैं। हरा टूरमैलीन ज्यादा प्रभावी होता है, क्योंकि हरे रंग का तोड़ने वाला प्रभाव होता है ।
प्रमुख शब्द बलपूर्वक निकालना, सोखना, छिन्न-भिन्न करना और बाहर फेंकना (extract, absorb, disintegrate and expel) महत्वपूर्ण हैं। आपके निर्देश एकदम सटीक, सही और सही क्रम में होने चाहिए। उदाहरण के तौर पर यदि आप बलपूर्वक निकालना ही कहते हैं, तो रत्न केवल इसी काम को करेगा, अन्य नहीं। आपको चक्र या प्रभावित अंग का नाम भी लेना पड़ेगा तथा यह भी कि वह स्वच्छ प्राण ऊर्जा को न निकाले। जैसे यदि आपको रोगी के 6 की सफाई करनी हैं, तो रत्न को निम्न निर्देश दीजिए ।
" हे रत्न, कृपा करके ( रोगी का नाम लीजिए) के सौर जालिका चक्र से आप गंदी और उपयोग की हुई ऊर्जा, रोगग्रस्त ऊर्जा, नकारात्मक ऊर्जा, नकारात्मक सोच के आकार, नकारात्मक परजीवियों को बलपूर्वक निकालिए, सोखिए, छिन्न-भिन्न करिए और तदुपरान्त बाहर फँकिए, किन्तु स्वच्छ प्राण ऊर्जा को न निकालिए ।"
उक्त निदेश तीन बार दीजिए ।
जिस स्थान पर आप उपचार कर रहे हों, वहां वायु के आने जाने के लिए काफी जगह होनी चाहिए, ताकि रोगग्रस्त ऊर्जा वहां से जा सके। यह
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