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________________ "द्रव्य इन्द्रिय” - निर्वृत्युपकरणे द्रव्येन्द्रियम् अर्थात् निवृत्ति और उपकरण को द्रव्येन्द्रिय कहते हैं। "भाव इन्द्रिय" लब्ध्युपयोगी भावेन्द्रियम् अर्थात लब्धि और उपयोग को भावेन्द्रिय कहते हैं। "बल"- अनन्तवीर्य लक्षण (बल) वाले से एक भाग प्रमाण मनोबल, वचनबल और कायबल के निमित्त से उत्पन्न हुए बल को बलप्राण कहते हैं। शरीर से श्वास का खींचना और छोड़ना यह श्वासोच्छवास प्राण है। "आयु" - जिसके उदय से भव-सम्बन्धी जीवन होता है और क्षय से मरण होता है, उसे आयु कहते हैं। इस प्रकार जिसके ये चार प्राण अर्थात् बल, इन्द्रिय, आयु और श्वासोच्छवास हैं वह जीव है। अपर्याप्त अवस्था में जिसके तीन प्राण अर्थात् इन्द्रिय, बल और आयु पाई जाती है वह भी जीव है। उत्तर भेद करने से एकेन्द्रिय के चार प्राण, दो इन्द्रिय के छ: प्राण, तीन इन्द्रिय के सात प्राण, चार इन्द्रिय के आठ प्राण, असंज्ञी पंचेन्द्रिय के नौ प्राण और संज्ञी पंचेन्द्रिय के दस प्राण होते हैं। मूल में प्राण के चार भेद हैं, लेकिन उत्तर भेद करने से दस भेद हो जाते हैं। __उपरोक्त प्राणों से वर्तमान में जीवित है, आगे जीवित रहेगा और पहले जीवित था, वह जीव है। ये सभी प्राण पुदगल द्रव्य से रचे गये हैं। "यः प्राणैः जीवति सः जीवः” जो प्राणों से जीवित है वह जीव है। यः प्राणैः जीविष्यति सः जीवः" जो प्राणों से जीवित होगा वह जीव है। "यः प्राणैरजीवत् सः जीवः" जो प्राणों से जीवित था वह जीव है। सिद्ध परमेष्ठी के मात्र शुद्ध चैतन्य प्राण होता है। वे प्राणातीत होते हैं। (३) जीव का अमूर्तित्व एवं मूर्तित्व __ जीव में निश्चयनय से पांच वर्ण, पांच रस, दो गंध और आठ स्पर्श नहीं होते। इसी कारण अमूर्तिक है। व्यवहार नय से कर्मबन्ध की अपेक्षा मूर्तिक है। भावार्थ- निश्चय नय से जीव अमर्तिक है क्योंकि आत्मा का कोई रंग, कोई रस. कोई गंधादि नहीं होता है लेकिन व्यवहार नय से जीव मूर्तिक है क्योंकि वह अनादिकाल से कर्मों से बंधा हुआ है। कर्म पुद्गल है और कर्मपुद्गल मूर्तिक होते हैं। मूर्तिक कर्म के साथ रहने से अमूर्तिक आत्मा भी उपचार से मूर्तिक बन जाता है। इसी संदर्भ में अमृतचन्द्र आचार्य ने कहा है १.८४
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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