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________________ चाहें, तो ऐच्छिक तौर पर LC वाले हाथ की हथेली के मध्य भाग पर भी ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं, किन्तु इसका करना आवश्यक नहीं है। (घ) रंगीन प्राण प्रेषण की तीन विधियां 1 -- H, 8 -- है तथा 11- हैं। (१०) उपचार की कार्यप्रणाली- Healing Procedure (क) CA तथा LC को स्वच्छीकृत, चार्ज करके तथा पवित्रीकृत करके तैयार रखें | निस्तारण इकाई (Disposal Unit) जैसे नमक का घोल, हरे आग का गोला आदि जैसा प्रारम्भिक उपचार पद्धति में बताया है. को भी तैयार रखे। (ख) अधिक अच्छा होगा यदि आप जिस दिन उपचार करें, उपचार के पूर्व द्वि-द्वदय पर ध्यान चिन्तन (देखिए अध्याय ३) करें। (ग) उपचार के प्रारम्भ से अन्त तक चंदन की धूप या अगरबत्ती जलाये रखें। (घ) अपने को शान्त रखिए। (ङ) रोगी की उपचार-ग्राह्यता बढ़ाए। (च) क्रम (१) में इंगित किए संकेतों के अनुसार पालन कीजिए। (छ) उपचार से पूर्व, रोगी अपनी प्रार्थना करे अथवा निम्न प्रार्थना करे: "हे सर्वशक्तिमान प्रभु मैं आपको दिव्य आशीर्वाद, दिव्य प्रेम और करुणा, दिव्य उपचार, दिव्य . सहायता और सुरक्षा के लिए धन्यवाद देता हूं। धन्यवाद सहित और पूर्ण विश्वास के साथ। (उक्त प्रार्थना को तीन बार दोहराएं, तत्पश्चात) हे आध्यात्मिक गुरुओ, आध्यात्मिक उच्चात्माओ, उपचारक गुरुओ, उपचारक देवदूतो, प्रकाश के देवो और महान व्यक्तियो. ५.४८२
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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