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द्वारा जांच (scanning) कर सकते हैं, कि ऊर्जीकरण समुचित हो गया है या नहीं ।
यदि रोगी की विपरीत प्रतिक्रिया हो, जैसे सिर दर्द आदि, तो यह सम्भवतः अधिक ऊर्जीकरण द्वारा होता है। ऐसी दशा में आप अधिक ऊर्जा को झाड़-बुहार कर बाहर निकाल दें।
LC को ऊर्जीकरण या झाड़ बुहार के समय कोई निदेश न दीजिए ।
कितनी बार E करना है, इसमें स्व-विवेक, अन्तर्ज्ञान (Intution) एवम् अनुभव के आधार पर इसमें परिवर्तन किया जा सकता है। (c) स्थिरीकरण - Stabilization
तथा वायवी डोर को काटना- Cutting the Etheric Cord
प्रारम्भिक उपचार में वर्णित विधि द्वारा स्थिरीकरण करते समय, हाथ अथवा LC को तीन बार स्थिरीकरण कहते हुए घड़ी की दिशा में तीन बार घुमाइए, तत्पश्चात् B या IB से उसे सील करने के लिए चित्रित (paint) करिए। फिर रोगी के सौर जालिका चक्र ( 6 ) से उपचारक के 6 के बीच बन गयी वायवी डोर को तलवार या कैंची, अथवा अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से काटिए ।
(६) लेसर रत्न के उपोग द्वारा रंगीन प्राण ऊर्जा कैसे प्रेषित करें How to project colour pranas using Laser Crystal (क) चित्र ५.१७ में दर्शायी विधि से CA तथा LC रखिए ।
(ख) तालु से जीभ लगाइए ।
(TT)
उन्नत प्राण ऊर्जा रंगीन प्राण ऊर्जा विषय सम्बन्धी अध्याय ८ व ६ में वर्णन का गहन अध्ययन करें। वांछित रंगीन प्राण ऊर्जा को ग्रहण करने के लिए सम्बन्धित मुख्य चक्र ( 1 8 अथवा 11 ) पर ध्यान केन्द्रित करिए तथा साथ- साथ ही उन उंगलियों के पोरों पर जिनमें आपने LC पकड़ रखा है, पर भी ध्यान केन्द्रित कीजिए। यदि आप
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