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________________ तत्पश्चात् रत्न/ रत्नों की ओर देखते हुए उन्हें तीन बार मौखिक या मानसिक रूप से निदेश दीजिए। ___ "अभी इसी समय से आशीर्वाद प्राण-ऊर्जाओं को ग्रहण करिए तथा सोखिए और जब तक बन्द करने के लिए आदेश न दिया जाए, तब तक ग्रहण तश्या सोखते रहिए।" कुछ मिनट तक प्रतीक्षा करने के पश्चात् भाग ३ के अनुसार करें। भाग -३– सूर्य, वायु और पृथ्वी की प्राण ऊर्जा से चार्ज करना सूर्य, वायु एवं पृथ्वी की प्रकृति-आत्माओं (nature spirits) और फरिश्तों (देवदूतों) (angels) से रत्न की ओर देखते हुए निम्न निवेदन मानसिक या मौखिक रूप से तीन बार करिए : ___"हे सूर्य, वायु एवम् पृथ्वी की प्रकृति-आत्माओ और फ़रिश्तो, मैं आपको इस रत्न/ इन रत्नों को सूर्य-प्राण, वायु-प्राण तथा पृथ्वी-प्राण से चार्ज करने के लिए धन्यवाद देता हूँ| कृपया केवल स्वच्छ और स्वस्थ ऊर्जा से ही चार्ज कीजिए। धन्यवाद सहित एवम् पूर्ण विश्वास से।" तत्पश्चात् रत्न/रत्नों की ओर देखते मानसिक या मौखिक रूप से तीन बार निदेश दीजिए : "अभी इसी समय से सूर्य, वायु और पृथ्वी से ऊर्जा ग्रहण कीजिए और . सोखिए। केवल स्वच्छ और स्वस्थ प्राण-ऊर्जा ही ग्रहण कीजिए। जब तक पुनः निदेशित नहीं किया जाता, तब तक ऊर्जा ग्रहण करते और सोखते रहिए।" कुछ मिनट तक प्रतीक्षा करने के पश्चात भाग ४ के अनुसार करें। भाग ४-- स्वतः पुनः चार्ज करना लेसर रत्न के अलावा अन्य रत्नों का स्वयमेव ही पुनः चार्ज होता रहे, इसके लिए उसकी/उनकी ओर देखते हुए, निम्न निदेश मानसिक या मौखिक रूप से तीन बार दीजिए : ५.४५७
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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