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________________ CA के मुकाबले में कई गुना ऊर्जा सोख एवम प्रेषित कर सकते हैं! यदि कोई २०० ग्राम का रत्न है और चार्ज किया गया है, तो वह ४०० या ५०० ग्राम के बगैर चार्ज किये हुए रत्न से अधिक शक्तिशाली होगा। __चार्ज किए हुए रत्न की शक्ति को बरकरार रखने के लिए, उसको नियमित तौर पर साफ करते रहना जरूरी है, क्योंकि वह धारण करने वाले की गंदी ऊर्जा सें संक्रमित होता रहता है। दैनिक चर्या और उपचार सत्रों में भी धारण करने वाले को काफी तनाव, क्रोध, चिड़चिड़ापन और अन्य नकारात्मक भावनाएं हो सकती हैं। चूंकि रत्न एक subtle condenser (देखिए अध्याय २८. क्रम २ क) होता है, इसलिए सभी प्रकार की ऊर्जाओं, जिनमें गंदी ऊर्जा भी सम्मिलित है, को सोखता है। इनसे संक्रमित होने के फलस्वरूप रत्न की शक्ति काफी कम हो जाती है। चार्ज करने का अर्थ रत्न को प्राण ऊर्जा द्वारा ऊर्जन करने का है, जिसमें सूर्य, वायु, भूमि द्वारा प्राप्त ऊर्जा भी शामिल है, परन्तु इसमें दिव्य ऊर्जा शामिल नहीं है। उपक्रम (२) किसी प्रकार के भी चार्ज करने के पूर्व, रत्न का स्वच्छीकरण आवश्यक है, जिसकी विधि उपरोक्त क्रम (क) में दिखाई दी गई है। चार्ज करने की निम्न विधियां हैं : (१) प्राणिक-श्वसन द्वारा- Through Pranic Breathing यह विधि विशेषकर, उन व्यक्तियों के लिए योग्य है जो उच्च आध्यात्मिक आत्माओं में विश्वास नहीं करते, अर्थात एक प्रकार से उनमें नास्तिकपन हो) (क) पांच बार प्राणिक-श्वसन क्रिया करें। (ख) अपने H को रत्न की ओर रखकर, लगभग बीस बार प्राण-श्वसन करें, रत्न को चार्ज करने की इच्छाशक्ति करें और उसके ओर देखते हुए, उसको निम्न निर्देश तीन बार दीजिए : "जो प्राण-ऊर्जा मैं प्रेषित कर रहा हूं, उसको सोखिए" (ग) उक्त क्रिया (ख) के बाद, रत्न को निम्न निद्रेश तीन बार दीजिए : "अब प्राण-ऊर्जा को सोखना बन्द करिए"
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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