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________________ "To the Supreme Being, to the Spiritual Elders and the Holy Angels, tha: . y for cleansing this crystal of all dirty and diseased energies, (If you are using the crystal for psychotherapic purpose, please include 'all negative psychic energies, all negative thought entities and all negative elementals' herein), all previous psychic impressions and all previous programmes. In full faith, So be it." प्रार्थना करते समय हाथ चक्र को रत्न की ओर करें, तथा यह इच्छाशक्ति कीजिए कि 11-H की तकनीक से जो दिव्य ऊर्जा आ रही है. वह आपके । के माध्यम से निकलकर रत्न को साफ कर रही है। (ङ) इच्छा शक्ति का प्रयोग करते हुए सभी निष्कासित पदार्थों की नमक के __घोल का उपयोग करते हुए, लगभग दस बार सफाई कीजिए। (च) से (ट) तक - उक्त उपक्रम ३ (च) से (ट) तक। उपक्रम (५) रत्न को साफ करने में सुगंधित धूप का धुंआ ऐच्छिक (optional) है, किन्तु नमक का घोल तथा ev आवश्यक है। प्रार्थना से बहुत अधिक सहायता मिलती क्रम (ख) रत्नों का ऊर्जन- Charging for Energising) of Crystals उपक्रम (१) भूमिका रत्न की शक्ति उराको बहुत अधिक मात्रा में प्राण-ऊर्जा द्वारा चार्ज (अथवा ऊर्जन कहिए) करके बढ़ायी जा सकती है। जो रत्न चार्ज नहीं किया गया है और जो चार्ज किया गया है, दोनों चक्रों को समान रूप से सक्रिय करते हैं, परन्तु चार्ज किया रत्न अधिक शक्तिशाली होता है। जैसे ग्रहण करने वाले हाथ पर चक्र सक्रियक (chakral activator) (आगे से इसको संक्षिप्तीकरण हेतु CA द्वारा सम्बोधित किया जाएगा) रखने से किसी व्यक्ति का 1 यदि लगभग साढ़े तीन इंच है, तो लगभग पांच से छह इंच हो जाता है। चार्ज किए रत्न की यद्यपि यही सक्रियता होगी, किन्तु बगैर चार्ज किए हुए रत्न के चक्रों, वायवी शरीर और आभा मण्डल में स्थित ऊर्जा का घनत्व, उससे कई गुना अधिक होगा। वह जो प्राण ऊर्जा सोखेगा अथवा प्रेषण करेगा, वह भी कई गुना अधिक होगी। चार्ज किए हुए CA के द्वारा बगैर चार्ज किए हुए ५.४५२
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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