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________________ (छ) रत्न की ओर देखते हुए उसकी ओर दो या तीन सैकिन्ड तक ev का प्रेषण कीजिए । (ज) यदि आप को रत्न का ऊर्जन नहीं करना है, तो स्थिरीकरण की विधि से स्थिरीकरण कीजिए एवम् B द्वारा सील कर दीजिए । तत्पश्चात् वायवी विधि से वायवी डोर को काटिए। (झ) यदि आपको रत्न का आगे ( ख ) "रत्नों के ऊर्जन" के अनुसार ऊर्जन करना हो, तो स्थरीकरण एवम् सील न करें। (ञ) ev को सहयोग के लिए तीन बार धन्यवाद दीजिए । (ट) पुनः जांच करें और पहले की हुई जांच और इसमें ऊर्जा के स्तर और गुणवत्ता का अन्तर महसूस कीजिए | (ठ) मनोवैज्ञानिक छापों, प्रोग्रामों, नकारात्मक मानसिक / मनोवैज्ञानिक ऊर्जाओं, नकारात्मक सोच के आकारों, नकारात्मक परजीवियों को रत्न से बाहर निकालने के लिए सुगंधित धूप का धुंआ सक्षम नहीं होता है। उपक्रम (४) प्रार्थना द्वारा - Using Prayer (क) व (ख)- उक्त उपक्रम (३) (क) व (ख) के अनुसार (ग) अपने ध्यान को ब्रह्म चक्र व हाथ चक्र पर केन्द्रित करिए । (घ) रत्न को देखिए और तीन बार निम्न प्रार्थना कीजिए : " हे सर्वशक्तिमान, आध्यात्मिक गुरुओ और पवित्र देवदूतो कृपया करके इस रत्न को समस्त गंदी और रोगग्रस्त ऊर्जा, (यदि आप रत्नं का किसी के मानसिक / मनोवैज्ञानिक रोग के उपचार में प्रयोग करें, तो यहां पर 'समस्त नकारात्मक मानसिक / मनोवैज्ञानिक ऊर्जाएं समस्त नकारात्मक सोच के आकारों, समस्त नकारात्मक परजीवियों भी सम्मिलित कर लीजिए), पिछले समस्त मनोवैज्ञानिक छापों और पिछले समस्त प्रोग्रामों से स्वच्छ कीजिए । धन्यवाद। पूर्ण विश्वास के साथ । ऐसा ही हो।" ५. ४५१
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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