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है। यदि आप अंगूठी को किसी दूसरी उंगली में पहनेंगे, तो कुछ ऐसे चक्र अति उत्तेजित हो जाएंगे जिनके कारण उनसे सम्बन्धित नाजुक अंगों पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। ऊर्जा 7 या 11 या किसी अन्य चक्रों जो शरीर के कुछ निश्चित नाजुक अंगों को नियंत्रित और ऊर्जित करते हैं, में जाकर अनावश्यक स्वास्थ्य की समस्यायें उत्पन्न कर सकती हैं। जब आप अंगूठी वाली उंगली में अंगूठी पहनते हैं, तो ऊर्जा 8 में जाती है, जिससे कम से कम अथवा बिल्कुल ही नहीं विपरीत प्रभाव पड़ता है, सिवाय उन व्यक्तियों के जो थायराइड ग्रंथियों के बढ़ जाने के रोग (hyperthyroidism) से पीड़ित हैं। जिन रत्नों का उपचार में अंगूठी में पहना जा सकता है, वह निम्न है: (१) स्वच्छ पारदर्शक स्फटिक मणि (Quartz) – इससे सफेद प्राण
अथवा रंगीन प्राण प्रेषित कर सकते हैं। (२) एमीथिस्ट (Amethyst) -- यह एक बैंगनी रंग का रत्न होता है।
यह बैंगनी अथवा विद्युतीय बैंगनी रंग की ऊर्जा प्रेषित करता है। गलाब स्फटिक मणि (Rose Quartz) - इसके द्वारा प्रेषित प्राणशक्ति ऊर्जा में थोड़ी सी गुलाबी ऊर्जा मिली होती है। यह मानसिक/ मनोवैज्ञानिक रोगों, गड़बड़ियों अथवा उन भौतिक शरीर सम्बन्धी रोग जो मनोवैज्ञानिक कारणों से हुए हैं, के लिए अच्छा होता है। प्राण ऊर्जा को रोगी सुगमता से आत्मसात कर लेता है। हरा टूरमैलीन या पन्ना (Green Tourmaline or Emerald)-- इसके द्वारा हरे रंग की प्राण ऊर्जा के प्रेषित होने से सफाई (Cleansing) का प्रभाव पड़ता है जो कि उपचार के दृष्टिकोण से अच्छा है। पन्ना से हरा टूरमैलीन ज्यादा अच्छा होता है क्योंकि एक तो हरा दूरमैलीन सस्ता (कम बहुमूल्य) होता है और दूसरे वह पन्ना के तुलना में ज्यादा गहरे रंग की प्राण ऊर्जा देता है। पन्ना द्वारा प्रेषित प्राण ऊर्जा बहुत हल्के रंग की होती
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