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(ङ) गर्भवती महिला का 1,3 तथा 6 पहले से ही अधिक सक्रिय होता
है। यदि वह रत्न धारण करती है तो निम्न चक्रों के अति सक्रिय हो जाने के कारण उच्च रक्तचाप अथवा गर्भपात हो सकता है।
___ गर्भवती महिलाओं को अधिक रत्नों से दूर रहना चाहिए, विशेषकर जब कि उनका ऊर्जा के दृष्टिकोण से स्वच्छीकरण न हुआ हो। इससे संक्रमण होने के कारण गर्भस्थ शिशु पर विपरीत प्रभाव पड़
सकता है। (च) जो व्यक्ति उन्नत ध्यान का अभ्यास कर रहा हो, उसको रल नहीं
धारण करना चाहिए, अन्यथा कुण्डलिनी सिनड्रोम (Syndrome) हो सकता है- यह गम्भीर अनिद्रा, गम्भीर शारीरिक कमजोरी, शरीर के विभिन्न भागों में दर्द, रक्त चाप में बढ़ोत्तरी और अति गर्मी महसूस
करने के रूप में हो सकता है। नोट: रत्नों की परिभाषा में हीरे, अन्य बहुमूल्य पत्थर और अर्ध-बहुमूल्य पत्थर
गर्भित हैं। कर्म का सिद्धान्त- The Law of Karma
कर्म का नियम है कि जो जैसा बोता है, वैसा काटता है। प्राणिक रत्न-चिकित्सा, अन्य विज्ञानों की तरह अच्छे या बुरे कार्यों के लिए की जा सकती है। यदि अच्छे कामों में इस्तेमाल की जाएगी, तो अच्छे उपचारक को बहुत पुण्य का बंध होगा और जिसका फल सौभाग्य, अच्छा स्वास्थ्य, प्रसन्नता, समृद्धि एवम् आत्म- उत्थान होगा। यदि इसकी शिक्षा और तकनीक का दुरुपयोग किया जाये और लोगों को दुख पहुंचाने और आघात पहुंचाने के लिए किया जाएगा, तो कर्म के अत्यन्त गंभीर परिणाम होंगे तथा तीव्र पाप बंध होगा. जिसके फलस्वरूप वर्षों के दुर्भाग्य, बीमारी, जीवन में उथल-पुथल और निर्धनता अथवा और अधिक तीव्र कष्ट होंगे। रत्नों की शक्ति- Potency of Crystals
अलग-अलग रत्नों की अलग-अलग शक्ति होती है। यदि वह अधिक पारदर्शक है, तो अधिक शक्तिशाली होगा! एक पारदर्शी स्फटिकमणि का रत्न
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