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(५) प्रार्थना उपचार के अन्य रूप
आध्यात्मिक मंत्रों का उच्चारण, भजन, प्रभु भक्ति में नाच आदि प्रार्थना उपचार के दूसरे रूप हैं। इस प्रकार प्रार्थना - उपचार सार्वभौम है ।
स्व-उपचार की प्रतिज्ञा
(६)
(७)
"ईश्वर सर्व शक्तिमान है ।
ईश्वर करुणावान है।
वह मेरे सभी रोगों का उपचारक है।
पूरे विश्वास के साथ उसे मेरा धन्यवाद है ।"
(क) लगभग पन्द्रह मिनट तक पूरे आदर, विनय, विश्वास और ध्यान के `साथ इस प्रार्थना को दोहराएं।
(७) इदि ठीक ढंग से किया जाए, तो सामान्य रोगों पर इसका शीघ्र ही और तेजी से उपचार होता है।
(ग) गम्भीर रोगों से पीड़ित व्यक्तियों को यह प्रार्थना पन्द्रह मिनट तक दिन में दो बार करनी चाहिए। यदि उपचार के लिए कई महीने या वर्ष लग जाये, तो भी यह प्रक्रिया करनी चाहिए ।
(घ)
स्व-उपचार की प्रक्रिया द्वि-हृदय पर ध्यान - चिन्तन (जिसका वर्णन अध्याय ३ में दिया है) की पूरक है। जो गम्भीर रोगों से पीड़ित हैं, उन्हें द्विहृदय पर ध्यान - चिन्तन करना चाहिए। उसमें अतिरिक्त ऊर्जा को त्यागने के बाद स्व-उपचार की उपरोक्त प्रार्थना करें। इन दोनों के मिलने के साथ उपचार की गति में तेजी आएगी।
(ङ) यदि रोग के लक्षण बहुत गंभीर हों, तो शीघ्र ही मैडिकल डॉक्टर और उन्नत प्राणशक्ति उपचारक की सलाह लीजिए ।
उपचारी देवदूतों की नियुक्ति
गम्भीर रोग से पीड़ित व्यक्ति के इलाज के बाद एक देवदूत को रोगी के पास रखने के लिए ईश्वर से निवदेन करें जिससे उपचार की प्रक्रिया में और अधिक गति बनी रहे। रोगी को यह बता देना चाहिए कि दिन में कई बार
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