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________________ a.L साधारण बनस्पति कायिक जीवों का प्रमाण = समस्त संसारी जीव – त्रस राशि- (पृथ्वी कायिक + जलकायिक + अग्निकायिक + वायुकायिक+प्रत्येक वनस्पतिकायिक जीव) बादर तथा सूक्ष्म उपरोक्त एकेन्द्रिय जीवों में से अपनी-अपनी राशि का भाग बादर होते हैं और शेष सूक्ष्म होते हैं। पर्याप्त तथा अपर्याप्त बादर पर्याप्त जीव - पृथ्वीकायिक = बादर पर्याप्त जलकायिक जीवों का प्रमाण -- (आवलि : a) जलकायिक = जगत्प्रतर ’ (प्रतरांगुल : पल्य) =32 + (six dot अग्निकायिक = घनावलि + a __ = (आवलि के समय) = a वायुकायिक = LF अप्रतिष्ठित प्रत्येक वनस्पतिकायिक =(बादर पर्याप्त प्रतिष्ठित प्रत्येक वनस्पतिकायिक जीव) : (आवलि : a) प्रतिष्ठित प्रत्येक वनस्पतिकायिक (बादर पर्याप्त पृथ्वीकायिक जीवों का प्रमाण) + (आवलि : a) बादर अपर्याप्त जीव अपनी-अपनी बादर जीव संख्या में से बादर पर्याप्त जीवों का प्रमाण घटाने पर बादर अपर्याप्त जीवों का प्रमाण आता है। बादर जीवों में पर्याप्त अवस्था अत्यन्त दुर्लभ है, यह बात उनकी अल्प संख्या बताकर आचार्य ने प्रकट की है। १.७६
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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