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अवरुद्ध मैरिडियनों की सफाई करे जिससे उपचार की प्रक्रिया
सुगम हो सके। (ङ) रोगी स्वयं भी मौखिक निदेशात्मक उपचार द्वारा अपना उपचार
स्व-सुझाव, स्व-स्वीकृतिकरण अथवा प्रभावित चक्रों एवम प्रभावित अंगों से सम्बोधन के द्वारा कर सकता हैं। स्वी-स्वीकृतिकरण को प्रति सत्र में पांच से दस मिनट तक दोहराया जा सकता है और आवश्यक्तानुसार दिन में एक बार या कई बार किया जा सकता है। रोगी अपने शरीर, प्रभावित चक्र/चक्रों और प्रभावित अंग/ अंगों से मृदुता एवम् प्यारपूर्वक बात कर सकता है और उनसे जल्दी ठीक होने के लिए निवेदन कर सकता है। यह जब तक आवश्यक्ता हो, प्रतिदिन दोहराना चाहिए।
स्व--सुझाव या स्व-स्वीकृतिकरण उपचार की गति को बढ़ाने में बहुत सहायक होता है। निम्न प्रकार इस स्वीकृतिकरण का प्रयोग किया जा सकता है:
___ "मेरा शरीर स्वस्थ होता जा रहा है। मेरा (प्रभावित अंग का नाम लीजिए) ठीक हो रहा है और अच्छा होता जा रहा है।"
बहुत से रोग नाराजगी और क्षमा न कर सक पाने के कारण भावनात्मक रूप से अथवा इन कारणों से हो जाते हैं। इसलिए स्व-स्वीकृतिकरण न केवल भौतिक रोग के लिए. अपितु भावना के लिए भी होना चाहिए। आप निम्न स्व-स्वीकृतिकरण कर सकते हैं।
"मैं उन सभी को क्षमा करता हूँ जिन्होंने मुझे चोट पहुंचाई है या दर्द दिया है। मैं सभी आघात की भावनाओं को निष्कासित करता हूँ। हे परमात्मा, मैं नम्रतापूर्वक आपसे अपनी सभी अपराधों एवम् गल्तियों के लिए क्षमा मांगता हूँ। मुझे शान्ति है और मैं स्नेह से भरा हुआ हूँ। मेरा शरीर स्वस्थ हो रहा है, और ज्यादा स्वस्थ हो रहा है, और ज्यादा स्वस्थ हो रहा है।
इसके अतिरिक्त आप निम्न बहुउद्देशीय स्व-स्वीकृतिकरण भी आवश्यक्तानुसार दिन में कई बार दोहराकर कर सकते हैं:
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