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________________ (२४) पागलपन (बगैर हिंसा के)- Madness (without Violence) (क) समस्त वायवी शरीर, प्रमुख चक्रों, सिर का क्षेत्र, मस्तिष्क आदि की गहन जांच करें। (ख) Gs ev (ग) C' (समस्त सिर का क्षेत्र) ev (घ) C (समस्त मस्तिष्क, 11, 10, 9, bh, 8, रीढ़ की हड्डी )/ E ev C 6 eV / E 6 eV (च) C7 evI E7 (7b के माध्यम से ) ev- इसका ऊर्जन के समय बड़ा होते हुए दृष्टीकरण करें। (छ) C (1, 2, 4) evI E Ev (ज) 03 VIE ev यदि आवश्यक हो, किन्तु सावधानी से (झ) c 5 GIEW (ञ) आवश्यक्तानुसार चक्रों का उनके सामान्य आकार होने तक बड़ा करें अथवा संकुषित करे। प्रजा होने के लिए, उनके ( 5 को छोड़कर) E ev के समय उनको बड़ा होते दृश्यीकृत करें। छोटा करने के लिए चक्रों के E Ev के पश्चात् E IB द्वारा संकुचित करिए। नियमित रूप से आवश्यक्तानुसार सप्ताह में तीन बार उपचार कीजिए। उपचार कई महीनों तक करना पड़ सकता है। (ठ) रोगी के माता पिता अथवा अभिभावकों / घनिष्ठ मित्रों से रोगी को किसी मनोवैज्ञानिक सलाहकार (Psychiatric) एवं मानसिक चिकित्सक को भी दिखलाने के लिए कहें। नोट- नकारात्मक ऊर्जा, नकारात्मक भावनाएं एवम् संवेदन, नकारात्मक सोच के आकार तथा नकारात्मक परजीवी पागलपन प्रकृति के होंगे, जिनका निष्कासन तथा नष्टीकरण करना होगा। (२५) हिंसात्मक पागलपन सहित – Madness coupled with Violence उक्त क्रम (१८) तथा (२४) का अवलोकन करें। इन दोनों उपचारों का एकीकरण करके उपचार की आवश्यक्ता पड़ेगी। इस केस में नकारात्मक ऊर्जा, ५.३९५
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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