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________________ नकारात्मक भावनाएं एवम् संवेदन, नकारात्मक सोच के आकार तथा नकारात्मक परजीवी जिनका निष्कासन तथा नष्टीकरण करना होगा, वे पागलपन प्रकृति, हिंसात्मक प्रकृति और हिंसात्मक पागलपन-तीनों प्रकृति के होंगे/ हो सकते हैं। (क) शरीर चक्रों की गहन जांच करें। (ख) Gs' ev (ग) c' (समस्त सिर का क्षेत्र) ev (घ) c' (समस्त मस्तिष्क, 11, 10, 9, bh, 8, रीढ़ की हड्डी ) ev IE eV (ङ) c (11, 10, 9, bh) ev ~E ev (च) C6 eVIE 6 ev, IB (IB संकुचन हेतु) (छ) 67 VIE7 (7b के माध्यम से) ev- E 7 के समय E को सक्रिय एवम् बड़ा होते हुए दृश्यीकरण करें। (ज) C5G/E W (झ) C' (4, 2, a, e, H, h. k, S) EVIE ev-H तथा में प्रेषित प्राणशक्ति का स्थिरीकरण न करें। (ञ) C' 1 ev~E ev IE ev, IB (संकुचन के लिए) ( E ev के समय कुछ अधिक इच्छाशक्ति करिए। निम्न चक्र प्रायः ev के प्रति अग्राह्य होते हैं।) (ट) c 3 VIE ev यदि आवश्यक हो, किन्तु सावधानी से E IB संकुचन के लिए (ठ) रोगी का पहले कुछ दिनों तक प्रतिदिन कई बार उपचार करें और बाद में रोगी की प्रतिक्रिया देखकर उपचार की गति में उचित परिवर्तन करें।
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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