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________________ कारण मायूसी हो जाती है। यह मानसिक/ मनोवैज्ञानिक कारण के उदाहरण हैं। उपक्रम (२) भौतिक कारण के फलस्वरूप होने वाली निराशा/ मायूसी इनका ऊर्जा शरीर खाली होता है। 1, 4, 5, 6 खाली हो जाते हैं। (क) मुख्य चक्रों की जांच करें। (ख) GS' (ग) C (1, 4, 5, 6, , S) GiE R - H तथा 5 में प्रेषित प्राणशक्ति का स्थिरीकरण न करें। E 5 सावधानी करें। (ङ) मामूली मायूसी के रोगियों के केस में कई उपचारों के बाद बहुत अच्छे परिणाम निकलते हैं। कुछ केस में, प्रभाव तुरन्त ही हो जाता है। जो उन्नत प्राणशक्ति उपचारक हैं वे मास्टर उपचार पद्धति अपनायें, जिसका वर्णन अध्याय ६ के क्रम संख्या १० (३२) में दिया है। उपक्रम (३) मानसिक/ मनोवैज्ञानिक कारणों से होने वाली मायूसीमामूली केसों में इसका उपचार लगभग वही है जो भौतिक कारणों का है, किन्तु इसमें 6, 9 तथा 11 से तनाव ऊर्जा या ट्रॉमैटिक (Traumatic) ऊर्जा और नकारात्मक भय, आत्म-विश्वासहीनता, शंका और निराशा के विचारों को बाहर निकालना और सफाई करनी होती है। 7 को भी उत्तेजित करना होता है। (क) मुख्य चक्रों की जांच करें। (ख) GS' (ग) C (1, 2, 4, 5, H, S) G/E (1, 2, 4 , 5) IR --- तथा s में प्रेषित प्राणशक्ति का स्थिरीकरण न करें। (घ) c (समस्त सिर का क्षेत्र- विशेषकर बाएं तथा दाएं ओर की तरफ, 11, 9, bh, 6) eVIE (11, 9, 6) ev ५.३८३
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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