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तलाक हो सकता है। इस सबका बच्चों पर भी कुप्रभाव पड़ता है। इन समस्याओं को कम से कम करने के लिए, नियमित तौर पर अपने पति / पत्नी पर तनाव के लिए प्राणिक मनोवैज्ञानिक उपचार करें। यदि आपके जीवनसाथी में कोई बाह्य सुधार के चिन्ह नहीं भी दिखते, तब भी इस उपचार द्वारा वह आन्तरिक शांति महसूस करेगा / करेगी, जिसको वह पसन्द करेगा / करेगी तथा आपसी रिश्ता दृढ़ होगा ।
यह उपचार उद्दंड या अति भावुक बच्चों पर भी किया जा सकता है । यह दफ़्तर में भी किया जा सकता है या जब महत्वपूर्ण निर्णय लेने हों । तनावमुक्त होकर निर्णय वा डीक और जल्दी लिए जा सकेंगे। गरमा-गरम बातचीत को शान्त अथवा कम किया जा सकता है ।
(४) तनाव, चिड़चिड़ापन, शोक और चिन्ता का स्व-प्राणशक्ति उपचारSelf Pranic Healing for Tension, Irritability, Grief and Anxiety
(क)
सामान्यकरण होने तक गहरा प्राणिक श्वसन या श्वसन- ध्यान करें। इसमें लगभग दस से तीस मिनट लग सकते हैं। काम के समय अथवा जब आप तनावयुक्त हों, तब भी यह प्राणिक श्वसन किया जा सकता है। इससे चैन, शांत होने एवम् ऊर्जन (सक्रियता ) का प्रभाव पड़ता है।
(ख) C 6f ~ E जब तक आप राहत न महसूस करें / T (11, 9 ) -- C तथा E के समय PB करते रहें ।
(ग) द्विहृदय पर ध्यान - चिन्तन करें। यदि ठीक प्रकार से करें, तो नतीजा काफी आश्चर्यजनक एवम् शीघ्र होगा। इसके द्वारा आप गहरी आन्तरिक शांति और अपने उद्देश्य को प्राप्त कर सकेंगे। इससे विवाहित जीवन भी सुधरेगा, विशेष तौर पर यदि दोनों ही पति-पत्नी इस ध्यान - चिन्तन को प्रतिदिन करें तो ।
(घ) अपनी सकारात्मक स्व-प्रतिच्छाया का नियमित रूप से अभ्यास करें। तनावपूर्ण दशा को दृश्यीकृत करें। उसकी ओर उदासीनता और वास्तविकता से देखें। आप अपने को शान्त एवम् सही कार्य करते हुए दृश्यीकृत करें। इस समय प्राणिक श्वसन करें। इसको प्रतिदिन दोहरायें
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