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ज्यादा अनुभवी और शक्तिशाली होते चले जाते हैं, वैसे-वैसे उपचार के दौरान अधिक इच्छाशक्ति का उपयोग न करें, अन्यथा रोगी की दशा खराब हो सकती है। (१४) स्व-उपचार के लिए प्रार्थना- Self-Healing Affirmation
"ईश्वर सर्वशक्तिमान है. ईश्वर दयावान है। वह मुझे अमुक रोग (रोग का नाम लीजिए) से ठीक कर रहा है। धन्यवाद सहित और पूर्ण विश्वास से ! तद्नुसार हो !" (क) उक्त प्रार्थना को लगभग १५ मिनट तक पूर्ण एकाग्रता, नम्रता, आदर
और विश्वास के साथ दोहराएं। (ख) यदि उचित ढंग से की जाए, तो साधारण रोगों में इसके द्वारा शीघ्र
आराम मिलता है। (ग) गम्भीर रोगों में उक्त प्रार्थना को लगभग १५ मिनट तक प्रतिदिन दो
बार, जब सर आवश्यक हो ता नक. दोहराइये चाहे इसमें कई महीने
अथवा वर्षों लग जाएं। (घ) द्विहृदय पर ध्यान-चिन्तन के साथ स्व-उपचार की प्रार्थना पूर्तिदायक
है। जो गम्भीर रोगों से पीड़ित हैं, वे पहले द्विहृदय पर ध्यान-चिन्तन करें, तत्पश्चात् स्व--उपचार की प्रार्थना करें। दोनों को मिलाने से
उपचार की गति काफी तेज हो जाएगी। (ङ) यदि रोग के लक्षण विद्यमान रहते हैं, तो चिकित्सक तथा प्राणशक्ति
उपचारक से मिलिए। (१५) स्व-दैवीयता- Self- Divinity (क) उपक्रम (१) क्या तुमको यह ज्ञात नहीं है कि तुम्हारा शरीर उस पवित्र
आत्मा का घर है जो तुम्हारे अन्दर विराजमान है, जो तुमने अनादिकाल से प्राप्त किया है ? Do you not know that your body is a temple of that sacred soul which you have obtained from the
beginningless period? उपक्रम (२) देखो, मोक्ष का राज्य तुम्हारे अन्दर ही है।