SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 825
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कुशल प्राणिक मनोरोग उपचारक चक्र एवम् आभा मण्डल के कवच, विशेषकर हिंसालक, अति अविश्वासी, नियमित (hallucinating ) या नशे की लत वाले रोगियों के लिए अवश्य बनायें । जिन रोगियों के लिए यह कवच बनाये जाते हैं, वे अन्य रोगियों की अपेक्षा अति शीघ्र ठीक हो जाते हैं। यदि ये सही प्रकार से किया जाये, तो रोगी कई महीने पहले ही ठीक हो जाता है। (c) गम्भीर रोग - Severe Psycho-diseases गम्भीर रोगों में प्राण चिकित्सा उपचार के अतिरिक्त रोगी से अथवा उसके हितैषियों से मनोवैज्ञानिक मैडीकल उपचारक अथवा मनोचिकित्सक से सलाह के लिए भी मिलने के लिए कहें। यह समग्र राह (integreted approach) के लिए आवश्यक है। (६) मनोरोगों से कैसे बचें- Prevention of Psychological Ailments यह कोई भी व्यक्ति कर सकता है । उपचारक को तो यह अवश्य ही नियमित रूप से करना चाहिए । (क) भावनात्मक रूप से विश्राम करें। यह धीमे-धीमे गहरी प्राणिक श्वसन प्रक्रिया को रोजाना करने से होता है, विशेष कर जब काम अधिक हो या किसी प्रकार का तनाव अथवा कुटुम्बी समस्यायें / तनाव हो । (ख) जहां तक हो सके, नकारात्मक भावनाओं और सोचने से बचें। सकारात्मक रूप से सोचें एवम् क्रियान्वयन करें। (ग) अत्यधिक क्रोध एवं घृणा से बचें। इस प्रकार की तीव्र नकारात्मक भावनायें चक्रों के सुरक्षा फिल्टरों में छेद कर देते हैं, जिससे उनमें प्रवेश पाने के लिए विदेशी आक्रमणकारी तथा नकारात्मक परजीव आकर्षित हो जाते हैं तथा उस व्यक्ति पर सम्पूर्ण रूप से हावी हो जाते हैं। इसके फलस्वरूप वह व्यक्ति अस्थायी तौर पर पागल सा हो जाता है अथवा ऐसा जैसा उस पर कोई हावी हो गया हो। इस दशा में वह कुछ भी बहुत बुरी क्रियायें कर सकता है, जैसे हिंसा, हत्या, बलात्कारादि । ५.३५३
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy