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________________ (घ) उक्त मर्करी लैम्प के बाहरी खोल को एक चमकदार ev दृश्यीकृत करें। अथवा द्वितीय विधि (क) अपने 11 पर ध्यान केन्द्रित करें एवम् उचित विधि से ev को इसमें ग्रहण करें। (ख) 11--H तकनीक द्वारा हाथों से बाहर निकली हुई ev की जांच करें। (ग) अपने हाथों से ev का प्रेषण करते हुए रोगी के चारों ओर तथा ऊपर और नीच, अर्थात एक खड़े अण्डाकार आकार की ev की ढाल इच्छाशक्ति का प्रयोग करते हुए, स्थापित करें | द्वितीय चरण(ङ) उक्त प्रथम अथवा द्वितीय विधि के अनुसार ढाल तैयार करके मानसिक रूप से ev को सम्बोधित करते हुए निम्न प्रार्थना तीन बार करें:"कृपया तीन दिन तक अमुक रोगी के बाह्य आभामण्डल की सब प्रकार के नकारात्मक ऊर्जाओं, नकारात्मक सोच के आकारों तथा नकारात्मक परजीवियों से रक्षा करो। किन्तु नकारात्मक ऊर्जाओं, नकारात्मक सोच के आकारों तथा नकारात्मक परजीवियों को बाहर निकलने से न रोका जाये, एवम् सकारात्मक ऊर्जाओं, सकारात्मक सोच के आकारों और सकारात्मक भावनाओं को बाह्य आभा मण्डल के भीतर प्रवेश करने से न रोका जाये। (च) दो दिन के पश्चात, पुनः आभा मण्डल की ढाल इसी प्रकार बनायें। उपक्रम (३) विविध यह कवच अनुभवी प्राणशक्ति उपचारकों अथवा प्राणिक मनोरोग उपचारकों द्वारा तैयार करनी चाहिए। इसका तैयार करना अति महत्वपूर्ण है। जिस प्रकार कि किसी रोगी को स्वच्छ एवम् जीवाणु रहित कमरे में रखना होता है,उसी प्रकार से ढाल के द्वारा स्वच्छ एवम् 'मनोवैज्ञानिक जीवाणु रहित आन्तरिक वातावरण (psychic bacterialess inner aura) रखना होता है। ५.३५०
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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