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(ठ) जीवों की संख्या संदृष्टिF संख्यात (विभिन्न संख्यातों का भान अलग-अलग हो सकता है)
= असंख्यात (विभिन्न असंख्यातों का मान अलग-अलग हो सकता है) घनावलि = आवली के समय प्रमाण का धन
= लोक प्रमाण, अर्थात लोक के प्रदेशों की संख्या = सूच्यांगुल = प्रतरांगुल = = घनांगुल = 83 = जगच्छ्रेणी = लोक - 7.7 -इनकी संदृष्टि के लिए परिशिष्ट १.०१ देखिए
अतीत काल के समय x ६०५ सिद्ध जीव =
(६ माह , समय) के समय = संसारी जीवों के अनन्तवें भाग, तथा अभव्य जीवों से अनन्त
गुणे। संसारी जीव = अनन्तानन्त (यह अक्षय अनन्त राशि है)
(प्रतरांगुल ) .a त्रस राशि = जगत्प्रतर :
१.७०