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संख्या
नाम विवरण
१३ सयोग
केवली
१४ अयोग
केवली
सातवें से बारहवें गुणस्थान घातिया कर्म पर्यन्त
(ज्ञानावरण
दर्शनावरण
मोहनीय
अन्तराय
नाम कर्म
आयु कर्म
कुल कर्म प्रकृति
जिनके अनन्त चतुष्टय (ज्ञान, दर्शन, सुख, वीर्य) प्रकट हो गया है।
व्युच्छति
जीवों
( क्षपक श्रेणी वाले के) संख्या.
आगम में शील के जितने भेद या विकल्प कहे हैं। वेदनीय कर्म (१८.०००) उन सबकी पूर्णता यहां पर होती है। इसीलिये वह शील का स्वामी है। पूर्ण संवर तथा निर्जरा का सर्वोत्कृष्ट एवं अन्तिम पात्र होने से मुक्तावस्था के सम्मुख है। काय योग से भी वह रहित हो चुका है। इस तरह के जीव को अयोग केवली कहते हैं।
शेष अघातिया कर्म
१.६९
०
= २
= 9
= ८०
= २
F
-
आयु कर्म नाम कर्म गोत्र कर्म
योग
८५ | उपान्त्य व अन्त्य समय में महायोग — १४८ समस्त कर्म प्रकृतियों
४७
५
६
२८
१३
३
६३
८.६८,५०२
५६८
分
छठे से चौदहवें गुणस्थानवर्ती जीवों की संख्या = ८,६६,६६,६६७