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________________ (ड) इन फोबिया के अधिक समय तक रहने से तीव्र प्रकार की निराशा/ मायूसी (severe depression) हो जाते हैं। असुहावने घटनाएं एवम् स्मरण के फलस्वरूप मन/मस्तिष्क की मानसिक रोगग्रस। दशा हो जाना। इनको भावनात्मक आघात अथवा ट्रौमा (trauma) कहते हैं। दुःख देने वाली बातों को बार-बार लगातार सोचने एवम् उनके फिर-फिर के दिमाग में आकर मानसिक उत्पीड़न के फलस्वरूप रोग । यह औबसैशन (Obsession) मस्तिष्क में घूमते रहना कहलाता है। व्यक्ति की इच्छा के विपरीत होते हुए भी अपने को न रोक सकने वाला व्यवहार। यह विवशता (compulsion) कहलाता है। (झ) जो वस्तुएं प्रतिभासित नहीं होती हैं, अथवा वह आवाजें जो स्वस्थ व्यक्ति नहीं सुनता/सुन सकता- उनको देखना अथवा ध्वनियों को सुनना। इनको विभ्रम (hallucination-- visual or audio) कहते हैं। किन्तु ये सम्पूर्ण रूप से काल्पनिक नहीं होते, अपितु आंतरिक संसार में वास्तविक होते हैं। (ञ) पिछले जीवन या वर्तमान जीवन के नकारात्मक कार्यों का कार्माण फल। उपचार में काम आने वाली ऊर्जायें (क) ev-- यह समग्र c अथवा E के काम आती है। इसके साथ नीले रंग की ऊर्जा के अतिरिक्त कोई और ऊर्जा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। यदि किसी चक्र पर इसका इस्तेमाल किया गया हो अथवा किया जाने वाला हो, तो नीली ऊर्जा के अतिरिक्त और कोई ऊर्जा इस्तेमाल नहीं करनी चाहिए। ev के द्वारा सफाई करते समय, सम्बन्धी ऊर्जाओं आदि की सफाई के अतिरिक्त, इससे शारीरिक मनोरोगों से सम्बन्धित ऊर्जाओं की सफाई के लिए भी प्रार्थना करनी चाहिए। (ख) V-- उक्त (क) में वर्णित कार्यों के लिए, किन्तु यह उतना प्रभावी नहीं होता।
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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