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ताकि वह आंशिक रूप से धीरे-धीरे कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट कर टुकड़े-टुकड़े करे। यह केवल उन्हीं अंगों पर करना है, जो नाजुक न हों ।
यौन अंग पर mO या do न करें।
(न)
जब आप mG / mO या dG / dO प्रेषित करें, तो आप कैंसर को छोटा होते हुए, जब तक वह गायब न हो जाये, तब तक दृश्वीकृत करें।
( प ) यदि कैंसर शरीर में सभी ओर फैल गया है, तो E 9ev करें तथा ev को समस्त शरीर में कैंसर कोशिकाओं को ढूंढ-ढूंढकर नष्ट करने के लिए कहें।
(फ) नाजुक अंगों जैसे आंखें, कान, मस्तिष्क, हृदय, अग्न्याशय के केस में मात्र C/Eev करें।
(ब)
AP का सम्बन्धित चक्र अति सक्रिय होता है, इसलिए उसका C तथा संकुचन करें। C ( सम्बन्धित चक्र) G - OLE IB... साथ-साथ इस चक्र को छोटा होने की इच्छाशक्ति करें । 0 का सिर 5 या उनके नजदीक न उपयोग करें। पुनः जांच करें।
(भ)
जब तक आवश्यक हो, सप्ताह में तीन बार इलाज दोहरायें। कुछ कैंसर रोगियों को एक वर्ष से अधिक उपचार करवाना पड़ता है।
(म)
चूंकि कैंसर के रोगी का वायवीय शरीर बहुत गंदा होता है, यह सलाह दी जाती है कि उपचारक C तथा E के दौरान बीच-बीच में नियमित रूप से अपने हाथों और बांहों को नमक के पानी या अल्कोहोल से धोता रहे, ताकि वह कम से कम संक्रमित हो। इसके लिए नियमित रूप से हाथ झटकते रहे । उपचारक के संक्रमित हो जाने की दशा में वह उंगलियों में संधिवात (arthinitis ) महसूस करेगा। यदि 1 और 5 संक्रमित हो जाते हैं, तो वह बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस करेगा जो कई महीनों में दूर हो पायेगी, जब तक कोई दूसरा प्राणशक्ति उपचारक उसका उपचार न करे ।
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