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________________ आकार लगभग आधे से दो-तिहाई के बीच में होता है। यह चरण अति महत्वपूर्ण है। (ठ) 1 अति सक्रिय होता है और गंदी पीली सी-लाल रोगग्रस्त ऊर्जा से । भरा होता है। इसका c' तथा संकुचन आवश्यक है। E 1 IB (स्थानीयकरण हेतु)/ C GO (लगभग ५० बार) (ड) E' 1w - यह अति आवश्यक है, क्योंकि इस पर ऊर्जा का बहुत खालीपन होता है। E 11B द्वारा इसको संकुचन करें और तद्नुसार इच्छाशक्ति करें। इसकी पुन: जांच करें। (ढ) C' 5G/E Gv-- सावधानी से (ण) 04 GIEW (त) 02/EW C(बांहों तथा पैरों पर, a, e, H, h, k, SGOI E (a, e, H, h. k, S) V-- तथा में प्रेषित प्राणशक्ति का स्थिरीकरण न करें। (द) (AP) पर बहुत धनापन होता है और गंदी पीली-लाल रोगग्रस्त ऊर्जा से भरा होता है। E (AP) IB (स्थानीयकरण हेतु)/C' (AP) G-0 (लगभग १०० से २०० बार) उन अंगों पर जो नाजुक नहीं हैं अथवा c' (AP) G नाजुक अंगों पर। C' के द्वारा कैंसर कोशिकाओं को उनके विकास के लिए आवश्यक पीली-लाल रोगग्रस्त नहीं मिलेगी तथा इससे वह वंचित हो जायेगा। c द्वारा रोगी आंशिक, काफी अथवा पूर्ण राहत महसूस करेगा। यह अत्यावश्यक है। कैंसर कोशिकाओं को धीरे-धीरे नष्ट करने के लिये, E (AP) mB अथवा dB कई मिनट तक (स्थानीयकरण हेतु) / E me, mo अथवा EdG, do अधिक कुशल प्राणशक्ति उपचारक इसके स्थान पर E (AP) dBIE dev भी कर सकते हैं। लेजर (laser) जैसी तीव्र तथा बाल-पैन के सिरे जैसे पतली प्राणशक्ति को आते हुए दृश्यीकृत करें। नष्टकारक प्राण ऊर्जा - को एक अति ही तीव्र केन्द्रित रूप में करके, उसको पर्याप्त शक्ति दें ५.३२१
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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