________________
1
EeV-- साथ ही 11, 10 तथा 9 को बड़ा होते हुए दृश्यीकृत करें । उपचारित चक्रों की पुनः जांच करें। इसमें 9 पर विशेष ध्यान दें।
(ङ)
जब आप E9 ev करें, तब मृदुता से किन्तु दृढ़ता से 9 को यह हिदायत दें कि वह समस्त चक्रों एवम् समस्त आंतरिक अंगों को सामान्य करें एवम् सबको समन्वय (marmonize) करे । इसका अन्य चक्रों पर सफाई एवम् सामान्य होने का प्रभाव पड़ता है। 6, 3 और 1 आंशिक या काफी साफ और संकुचित हो जायेंगे ।
(च)
C' ( 8, 8') G V/EeVE 8 के समय उसको बड़ा होता हुआ दृश्यीकृत करें।
(छ)
6 अति सक्रिय होता है और गंदी पीली-लाल रोगग्रस्त ऊर्जा से भरा होता है। C" 6 तथा C' L यह अति महत्वपूर्ण है।
--
E (6, L) B (स्थानीयकरण हेतु) / C (6, L) GO (लगभग ३० से ५० दफा )
(ज)
E 6f GO (इसका आंतरिक अंगों और पूरे शरीर पर सफाई का प्रभाव पड़ता है ) / कुछ मिनट प्रतीक्षा करें / E IB ( संकुचन हेतु )- साथ ही इसको छोटे होने की इच्छाशक्ति करें। इसका अधिक संकुचन न करें 6 की पुनः जांच करें।
क्योंकि उससे यह कमजोर पड़ता है । (झ) कई सप्ताह अथवा महीनों बाद जब रोगी का काफी सुधार हो जाये, तब E 6 GV, IB ( उपरोक्त चरण (ज) में E 6 GO, IB के स्थान पर)
(ञ)
3 अति सक्रिय होता है और भूरी सी पीली-लाल ऊर्जा से भरा होता है । इसका C तथा संकुचन आवश्यक है। E3 IB (स्थानीय करण के लिए) / C GO लगभग (२० से ३०
दफा )
(ट)
E 3 IB- साथ ही उसको संकुचित होने की इच्छाशक्ति करें। इसकी पुनः जांच करें। प्रमुख चक्रों के औसत आकार के तुलना में इसका
५.३२८