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________________ करके. उनमें से प्रत्येक को क्षमाकर उनको अच्छे स्वास्थ्य, प्रसन्नता, सफलता, परिपूर्णता ओर दैवीय सुरक्षा का आशीर्वाद दीजिए। यह जरूरी है, क्योंकि यदि आप दूसरे को क्षमा करते हैं, तो ईश्वर आपको क्षमा करेगा और यदि आप दूसरे को क्षमा नहीं करते हैं तो ईश्वर भी आपको क्षमा नहीं करेगा। दया का नियम का तात्पर्य है कि यदि आप दयावान हैं, तो आप दया प्राप्त करने के पात्र बनेंगे। यह सलाह दी जाती है कि रोगी प्रति माह धर्मार्थ एवम् सुपात्रों को दान करे (कुपात्रों और अपात्रों का नहीं) और धर्मार्थ कार्यों को कार्यान्वयन करे। शाकाहारी बनने से जीवों पर दया व करुणा होती है। क्रूरता, हानिकारक वचन और नकारात्मक भावनाओं को त्यागें। जैसा आप बोयेंगे, वैसा ही फल पायेंगे। उपक्रम (६)- कैंसर के उपचार की सामान्य प्राणशक्ति उपचार विधि (क) GS (अनेक बार) G - अनेक कैंसर रोगियों के काला सा या गहरे से भरा (dark grey) आभामण्डल होता है। बाह्य, स्वास्थ्य तथा आन्तरिक आभामण्डल सभी बुरी तरह प्रभावित होते हैं। (ख) CLu / E Lu (Lub के माध्यम से) Go - इसके द्वारा रक्त तथा समग्र शरीर पर शुद्धिकरण का प्रभाव पड़ता है। सामान्य दशा में रक्त बहुत हल्का सफेद सा नारंगी-लाल होता है। कई कैंसर केसों में रक्त गंदा लाल-पीला होता है। E0 करते समय अपनी उंगलियां रोगी के सिर से दूर इंगित करें। (ग) C7 G~VI E (71 तथा थायमस) ( 7b के माध्यम से) ev-साथ ही 7 को बड़ा होते हुए दृश्यीकृत करें। 71 तथा 7b को पुन: जांचे। 17 से थायमस ग्रंथि शक्तिवान बनेगी, जिससे प्रतिरक्षात्मक तंत्र उत्तेजित होगा। इससे ऊपर के चक्रों को सामान्य होने में भी सहायता मिलेगी और रोगी को आन्तरिक शांति प्राप्ति होगी। (घ) C (समस्त सिर का क्षेत्र, 11, 10, 9, bh) G~v (नोट-9 की ३० से ५० बार तक c करें)। ५.३२७
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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