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कानों, हृदय और अग्न्याशय पर उपयोग नहीं करना चाहिए, किन्तु mey का उपयोग किया जा सकता है।
उक्त उपचार में रोगी को विशेषरूप से इन नष्टकारक ऊर्जाओं के लिये ग्रहणशील होना चाहिए, जिसको उपचारक सुनिश्चित कर ले, अन्यथा यह नष्टकारी ऊर्जायें रोगी से टकराकर वापस उपचारक पर आ जायेंगी जिसका उपचारक पर कुप्रभाव पड़ेगा।
नष्टकारी कर्जाओं का उपयोग स्वैच्छिक है। यह ध्यान रहे कि उपरोक्त प्रथम उपचार में उपक्रमों (१) व (२) में या तो m8, mG, mo का उपयोग करें, अथवा dB, dG, do का- m और d प्रकृति की ऊर्जाओं का मिश्रण न करें ।
उपक्रम (३) रोगी का उचित आहार
उचित आहार बहुत महत्वपूर्ण है। उसका वायवी शरीर बहुत भूरा सा होता है और उसकी रोगग्रस्त और उपयोग की हुई ऊर्जा के निष्कासन की योग्यता पर विपरीत प्रभाव होता है।
रोगी को शुद्ध शाकाहारी होना परमावश्यक है, अन्यथा उसकी हालत बिगड़ती चली जाएगी। मसालेदार भोजन नहीं लेना चाहिए। यांग (Yang) फलों तथा सब्जियों को भी नहीं लेना चाहिए। यांग (Yang) फल तथा सब्जी उसको कहते हैं, जिसको खाने से गर्मी महसूस होती है। मसालेदार खानों एवम् यांग भोजन में काफी लाल रंग की ऊर्जा होती है, जो रोग को बढ़ाती है।
उपक्रम ( ४ ) -- उचित भावनाएं
नकारात्मक भावनाओं जैसे क्रोध, चिड़चिड़ापन, नाराजगी, हतोत्साहता आदि को निम्न कारणों से नहीं करना चाहिए।
(क) अधिकतर कैन्सर इनके लम्बे समय तक रहने के कारण होता है।
(ख) उनके द्वारा पहले से ही बहुत ही खाली (तथा कमजोर) शरीर पर और अधिक खालीपन होता चला जाता है, जिससे दशा और बिगड़ती चली जाती है !
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