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का अधिकार होना चाहिए। यदि इसमें कोई कृत्रिम, वैधानिक कानूनी अड़चन हो, तो उसे दूर कर देना चाहिए। उपक्रम (२) उचित प्राण शक्ति उपचारइन्दल निम्न हरणा होते हैं - (क) C (AP तथा प्रभावित चक्रों पर) द्वारा इनमें की गंदी अथवा मटमैली
रोगग्रस्त पीली सी लाल ऊर्जा को निकालकर। इससे कैन्सर की कोशिकाओं को विकास करने हेतु आवश्यक गंदी ऊर्जा नहीं मिलेगी। इससे शरीर स्वत: ठीक होगा अथवा कम से कम पतन की गति कम
हो जायेगी। (ख) इन रोगियों के उच्च चक्र कम सक्रिय होते हैं, विशेष तौर पर 9 तथा
7 जिनमें साधारणतया गंदी पीली सी लाल रोगग्रस्त ऊर्जा नहीं भरी होती है। 6, 3 और 1 अधिक सक्रिय होते हैं और इनमें गंदी पीली सी लाल रोगग्रस्त ऊर्जा भरी होती है। इसलिये सभी चक्रों की सफाई करके, उच्च चक्रों को अधिक सक्रिय तथा निचले चक्रों का संकुचन करना पड़ता है। 9 तथा 7 के सामान्यीकरण से निचले चक्रों को सामान्य होने में सहायता मिलती है। किन्तु क्या प्रभावित चक्र स्थायी तौर पर सामान्य बने रहेंगे, यह कार्माण कारणों पर निर्भर करता
है। (ग) उपचार की गति को प्रतिरक्षात्मक तंत्र को सुदृढ़ करके बढ़ायी जाती
(घ)
(१) AP पर me या dB का प्रेषण करें -- आगे प्रेषण की जाने वाली नष्टकारी ऊर्जाओं को AP तक सीमित करने के लिये (२) E (AP) (mG या dG, mo या do)- यह कैन्सर की
कोशिकाओं को तोड़ने के लिए है। अधिक उन्नत कुशल व अनुभवी प्राण शक्ति उपचारक इसके स्थान पर उपरोक्त चरण (१) में E (AP) dB करने के पश्चात् मात्र Edev कर सकते हैं। नष्टकारक ऊर्जायें नाजुक अंगों जैसे मस्तिष्क , आंखों,
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