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________________ | की संख्या नाम विवरण व्युच्छति जीवों (क्षपक श्रेणी वाले के) संख्या अनिवृत्ति | इसमें परिणामों की संख्या भाग करण | अधः प्रवृत्तकरण की अपेक्षा निद्रानिद्रा, प्रचलाप्रचला. (अपूर्वकर | असंख्यात लोकगुणी है।! स्त्यानगृद्धि दर्शनावरणी कर्म | और इन परिणामों में | =३,नरकगति, नरकगत्यानुपूर्वी, | उत्तरोत्तर प्रति समय समान | तिर्यंचगति, तिथंचगत्यानुपूर्वी, वृद्धि होती गई है। एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय जाति, उद्योत, आतप, साधारण, सूक्ष्म, स्थावर नाम कर्म=१३ । कुल =१६ कर्म प्रकृति अप्रत्याख्यानावरण/प्रत्याख्याना वरण क्रोध / मान / माया / लोभ = मोहनीय कर्म प्रकृति | नपुंसकर्वद मोहनीय कर्म-१ स्त्रीवेद मोहनीय कर्म-१ हास्य, रति, अरति, शोक, भय, | | जुगुप्सा मोहनीय कर्म =६ मोहनीय कर्म । संज्वलन क्रोध मोहनीय कर्म =१ | संज्वलन मान मोहनीय कर्म-१ । ६. | संज्वलन माया मोहनीय कर्म =१ कुल | दर्शनावरणी कर्म प्रकृति -३ मोहनीय कर्म प्रकृति =२० नाम कर्म प्रकृति =१३ | | ज ७. ३६ १.६७
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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