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________________ (च) E (a, e, H. h, k, S)/E R - 1 तथा में प्रेषित प्राणशक्ति का स्थिरीकरण न करें। (छ) CKG-O/EW (ज) C' (1, 4)/ E R (झ) C 5/EW -- यदि रोगी को उच्च रक्तचाप हो, तो तब E न करें। (ञ) 07/E थायमस ( 7b के माध्यम से) GV' (ट) C' (8, 8)/E GBV (ठ) C' (9, 10, 11, bh )/ E GBV' उपचार को सप्ताह में तीन बार करें। प्राण उपचार कई महीनों अथवा लगभग एक साल तक चल सकता है। (ढ) इस रोग का उपचार करने के लिए काफी शक्तिशाली तथा उन्नत कुशल उपवारक की जरूरत पड़ती है। यदि उपचार ठीक तरह हो, तो कई उपचारों बाद दिखाई देने वाला अथवा काफी सुधार होगा। रोगी को भी अपने नकारात्मक भावनाओं और विचारों को कम से कम करके सहयोग प्रदान करना होगा। इसके लिए उसका शाकाहारी भी होना आवश्यक है। खेलकूद की चोट- Sports Injuries खेलकूद की चोटों में यदि प्राणशक्ति उपचारक एक विशेषज्ञ उन्नत प्राणशक्ति उपचारक हो और रोगी ग्राह्यशील हो, तो प्राण शक्ति उपचार बहुत प्रभावी होता है। . कई केसों में अनाड़ी के दृष्टिकोण से परिणाम चमत्कारी होते हैं। यह आवश्यक होगा कि प्रमुख खेल की टीमों में एक प्राणशक्ति उपचारक रहे, जो खेलकूद की चोटों का विशेषज्ञ हो। इसका प्रतिपक्षी टीम के मुकाबले में बहुत बड़ा लाभ होगा। चीन में कुछ राष्ट्रीय खेलों की टीम में खेलकूद की चोटों को वहीं पर ठीक करने के लिए प्राणशक्ति उपचारक अथवा मैडिकल ची-कुंग (Chi-Kung) उपचारक रखा जाता है। यह उनको आवश्यक्तानुसार प्राणशक्ति का बढ़ावा (Boost) दे सकता हैं। इसका वर्णन आगे अध्याय ३६ में किया गया है। (१२) ५.३०१
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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