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________________ (१३) मांस पेशी की ऐंठन- Muscle Cramps (क) यदि AP पैरों पर है, तो C (पूरे पैरों पर, विशेष तौर पर h, k, s) G-O/ E(h, k, S) E R – में प्रेषित प्राणशक्ति का स्थिरीकरण न करें। (ख) C (AP) G NOTE GOR' (ग) C (14) IE R (१४) बरसा की सूजन— Bursitis बरसा एक स्लिपरी ऊतक होता है, जो तंतु पेशियों को हड्डी को ऊपर करने की सुविधा देता है। इसमें की सूजन का यह रोग होता हैं । इसका उपचार उपरोक्त क्रम ५ में वर्णित उपचार की भांति करें। (१५) तनाव- Strain (क) C' (AP) G~0/ E B (सुकून पहुंचाने तथा स्थानीयकरण प्रभाव हेतु) (0-R)' (ठीक होने की गति में तेजी लाने के लिए) - यदि यह पूरी प्रक्रिया ठीक से हो, तो रोगी को तुरन्त आराम मिलता है। (ख) C (1, 4)/ E R (ग) रोगी को उपचार किये भाग को आराम देना चाहिए तथा वह अधिक श्रम न करे। (१६) मोच- Sprain (क) C' (AP) 6-0 / E B ( सुकून पहुंचाने तथा स्थानीयकरण प्रभाव हेतु) (ख) उपचार की गति में तेजी लाने के लिए, E (AP)O-R, 0--Y (ग) यदि उक्त चरण (क) और (ख) ठीक हो जाये, तो तुरन्त ही आराम मिल जाता है। C (1, 4) / E R (ङ) रोगी को उपचार किये भाग को आराम देना चाहिए तथा वह अधिक श्रम न करे। ५.३०
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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