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संख्या
१.
२.
३.
४.
अब विभिन्न गुणस्थानों में कर्मों की व्युच्छति तथा जीव संख्या बताते हैं
I
नाम विवरण
मिथ्यात्व मिथ्यात्वप्रकृतिनाम
सासादन
दर्शन
मोहनीय कर्म के उदय से वस्तु स्वरूप का यथार्थ श्रद्धान न होना
मिश्र
सम्यक्त्व का नष्ट होकर मिथ्यात्व
गुणस्थान
समय से सन्मुख - एक लेकर छह आवली के अनन्तर नियम से मिथ्यात्व गुणस्थान को प्राप्त हो जावेगा
सम्यक्त्व और मिथ्यात्व इन दोनों भावों का होना
अविरत सम्यग्दर्शन को सम्यग्दृष्टि किन्तु असंयमी (अव्रती )
प्राप्त,
१.६५
व्युच्छति
( क्षपक श्रेणी वाले के)
0
०
0
जीवों
संख्या
अनन्तानन्त
(संसारी जीव
राशि -- से
दूसरे
चौदहवें
गुणस्थानों
जीव)
पल्य असंख्यातवां
16
का
=५२
मनुष्य
भाग
करोड़
और श्रावकों असंख्यातगुणे अन्य तीन गति
के जीव
सासादन
गुणस्थान वालों से संख्यात गुणे
= १०४
करोड
मनु
और
सासादन
गुणस्थान वालों से संख्यात गुणे शेष तीन गति
के जीव
सात सौ करोड
मनुष्य और
सासादन
गुणस्थान वालों से संख्यातगुणे अन्य तीन गति के जीव