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________________ Carriage (१४) गर्भपात रोकना- Preventing Miscourage यह उपचार उन गर्भवती महिलाओं के लिए है जो रक्तस्त्राव के साथ निचले पेट के दर्द की शिकायत करती हों। उपचार के समय इच्छा शक्ति का उपयोग न करें। (क) GS मृदुता से (ख) C (4, 2 तथा आसपास के क्षेत्र पर) मृदुता से / जरा सा E (4, 2) W मृदुता से (ग) C1 / E (जरा से W से)- मृदुता से C 6 मृदुता से । मृदुता से E w (ङ) C (9, 8) IE W (च) ऊर्जित किये हुए चक्रों का स्थिरीकरण सफेद से अति हल्के नीले रंग की प्राण ऊर्जा Very light whitish blue prana) द्वारा करें। __ आवश्यक्तानुसार, इलाज को दोहरायें। (१५) प्रसव क्रिया को सुगम करना- Facilitating the Birthing Process (क) C (4, 2 ) बहुत मृदुता से (ख) E 4 ( w या B- मृदुता से. ताकि गर्भाशय की मांसपेशियों के संकुचन में सहायता मिले। (ग) E 2 {W या R)- मृदुता से, ताकि गर्भाशय की गर्दन (Cervix) के चौड़ा होने में मदद मिले। (घ) C1/E ( w या R)- मृदुता से यदि पीठ में दर्द हो, तो C कई बार करें- E3 नहीं करें, वरना मृत बच्चा पैदा हो सकता है। (च) C (9, 8)/ E W- मृदुता से, ऊर्जित किए हुए चक्रों का स्थिरीकरण सफेद से अति हल्के नीले रंग की प्राण ऊर्जा (Very light whitish blue prana) द्वारा करें। (ज) एक या दो घंटे बाद उक्त सभी उपचार की प्रक्रियाओं को दोहरा सकते हैं। प्रसव की सम्भावित तारीख से दो सप्ताह पहले से, यह सभी उपचार, सप्ताह में तीन दफे भी किया जा सकता है। केवल सफेद प्राण का ही उपयोग करें। ५.२८४
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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