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________________ होता है। गर्भवती महिला के शरीर के किसी भी भाग में G तथा 0 का उपयोग न करना ही अधिक सुरक्षित है। गर्भवती महिला का E 3 या 4 5 न करें, अन्यथा गर्भस्थ शिशु पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। कुछ महिलायें मासिक धर्म के दर्द (Dysmenorrhea), अनियमित मासिक धर्म (Irregular Menstruation) तथा इसी प्रकार की अन्य बीमारियों का नाटक कर सकती हैं, क्योंकि इनके उपचार से गर्भपात हो सकता है। हालांकि इस प्रकार के केस कम ही होते हैं, फिर भी उपचारक को सावधान रहना चाहिए। गर्भवती महिलाओं का आम तौर पर 6, 4, 2, 1 और 3 शक्तिशाली रहता है। जांच द्वारा यह पाया जाता है कि आम तौर पर अन्य चक्रों की तुलना में यह ज्यादा बड़े और मोटे होते हैं। यदि महिला को कई महीने का गर्भ है, तो ये अधिक सक्रिय होते हैं और 3 अधिक सक्रिय 1 के मुकाबले में थोड़ा छोटा होता है। 9 सक्रिय होकर लाल से रंग का होता है। उपचारक को उपचार करने तथा जीवन बचाने का हिमायती होना चाहिए और जीवों को मारने में उद्यत नहीं होना चाहिए। इसलिए उपचारक को उन गर्भस्थ शिशुओं को जो अपनी स्वयं कोई रक्षा नहीं कर सकते हैं, को नष्ट नहीं करना चाहिए। शक्ति के दुरुपयोग से कर्मों के गम्भीर दुष्परिणाम होंगे। गर्भपात से बचना- Avoiding Miscouragee यह उपचार उन स्त्रियों के लिए जो यद्यपि गर्भवती नहीं है, किन्तु गर्भपात का इतिहास रखती हों। 2, 4 तथा 1 प्रभावित होते हैं। (क) Gs (ख) C2 G~0/EGOR (ग) C (4,1) ER (घ) E" 6! EGBV (ङ) C (9, 8)। E GV' (च) उपचार को लगभग एक माह तक, सप्ताह में तीन बार करें | (१३) ५२८३
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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