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________________ (8) (ख) E 2 w (ग) (1, 4) ! E w (घ) यदि रोगी थका हुआ हो या मूर्छित हो गया हो, तो c" 6/E R (ङ) ऋतुशूल को रोकने के लिए इस उपचार को ऋतुस्त्राव से तीन दिन पहले किया जा सकता है। अनियमित मासिक धर्म अथवा मासिक धर्म का न होना - Irregular Menstruation or No Menstruation (क) C2G ~0/EGOR (ख) C (1, 4)/ Ew (ग) C (9, 8} /E GV (घ) उपचार सप्ताह में तीन बार करें, फिर बन्द कर दें तथा परिणाम की प्रतीक्षा करें। यदि आवश्यक्ता हो, तो उपचार को दोहरायें। योनि, गर्भाशय तथा अंग ग्रीवा की सूजन- vulvitis, Vaginitis,Cervictis (क) Cs (ख) c (2 तथा आसपास के क्षेत्र पर) G~0- समुचित सफाई के पश्चात रोगी को काफी राहत महसूस होगी। (ग) E2 GBVIC ( 2 तथा आसपास के क्षेत्र पर) (घ) CLu/ E Lu { Lub के माध्यम से) G0- इससे रक्त तथा पूरे शरीर पर सफाई का प्रभाव पड़ेगा। E0 के समय अपनी उंगलियों को रोगी के सिर से दूर इंगित करें। (ङ) C (1, 4, 5)/ E(1, 4) W - 4 से आंशिक ऊर्जा स्वयमेव ही 5 को चली जायेगी, अतः 5 न करें। (च) c (8, LIE 6 GBV (छ) उक्त चरण (ख) तथा (ग) पर विशेष ध्यान दें। (ज) अगले कुछ दिनों तक उपचार को दोहरायें। डिम्ब ग्रंथि (अण्डाशय) की रसौली-Ovarian Cyst 2 तथा प्रभावित अंडाशय पर धनापन हो जाता है और ये गंदी लाल ऊर्जा से भर जाते हैं। इनके c' पर विशेष ध्यान दें।
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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