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________________ अध्याय १७ ऊर्जा द्वारा शारीरिक रोगों का उपचार- उन्नत तकनीक तथा रंगीन ऊर्जा द्वारा उपचार -- जननांगों के रोग (यौन रोग) Reproductive Ailments संदर्भ : (9) भाग २, अध्याय १५ और भाग ४ अध्याय १४. क्रम संख्या ( ११ ) सामान्य- जननांगों का तंत्र मुख्य रूप से 2 द्वारा नियंत्रित तथा ऊर्जित होता है। यह 9 द्वारा भी नियंत्रित होता है जो अन्तःस्त्रावी तंत्र को नियंत्रित करता है । जो उच्च रचनात्मक गतिविधियों का केन्द्र है, भी इसको प्रभावित करता है तथा द्वारा भी, जो 2 को काफी हद तक ऊर्जा शक्ति प्रदान करता है। 8, 1 पुरुषों में 2 शिश्न, अंडकोष और प्रोस्टेट को नियंत्रित और ऊर्जित करता है। अंडकोष, लघु अंडकोष चक्र द्वारा तथा प्रोस्टेट, लघु प्रोस्टेट चक्र एवं p* द्वारा नियंत्रित तथा ऊर्जित होते हैं। स्त्रियों में 2 बहिर्योनि (Vulva), योनि शिश्न (योनि द्वार पर एक अति लघु शिश्न जैसा उपस्थि अंग) (clitoris), योनि (vagina), गर्भाशय ( Uterus), अण्डाशय की नलिया (uterine or fallopian tubes) तथा अण्डाशयों (Ovaries) को ऊर्जित व नियंत्रित करता है। गर्भाशय लघु गर्भाशय चक्र द्वारा ऊर्जित तथा नियंत्रित होता है । अण्डाशय तथा अण्डाशय की नलियां लघु अण्डाशय चक्र द्वारा ऊर्जित तथा नियंत्रित होते हैं । उक्त चक्रों की स्थिति चित्र ४.१४ में दर्शायी गयी है। 'पेरिनियम लघु चक्र शरीर के अन्दर 2 और 1 के अन्तराल के मध्य में होता है। (२) ऋतुशूल (मासिक धर्म का दर्द) Dysmenorrhea (45) C2G ~ 0, यदि सफाई भली प्रकार हो जाये, तो रोगी को तुरन्त आराम मिल जाता है। ५.२७७
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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