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(ग)
E 2 GBV / C' - यदि चरण (ख) तथा ( ग ) ठीक प्रकार किये जायें, तो रोगी को काफी आराम मिलेगा ।
(घ)
(च)
(ङ)
C (6,4, 1 ) /EW- यह शरीर को शक्ति प्रदान करने तथा प्रतिरक्षात्मक तंत्र को सुदृढ़ करने के लिए है।
CLE L (Lub के माध्यम से) GO इससे उपचार गति को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि G तथा 0 का रक्त एवम् समस्त शरीर पर सफाई का प्रभाव पड़ता है। EO के समय, अपनी उंगलियों को रोगी के सिर से दूर इंगित करें।
(घ)
(ङ)
(च)
(छ)
-
उक्त रोग में प्राणशक्ति उपचार बहुत प्रभावी होता है। ठीक होने की गति बहुत तेज होती है !
(३) गुर्दों का संक्रमण और सूजन- Infection and Inflammation of the Kidneys
(क) GS
(ख)
C 3- यदि रोगी उच्च रक्तचाप से पीड़ित है तो E IB करें तथा साथ-साथ उसके आकार को अन्य चक्रों के आकार का लगभग आधा आकार होने की इच्छा शक्ति करें।
(ग)
C KSO/ फिर सकून पहुंचाने एवम् संक्रमण खत्म करने हेतु, E K GBV/C
EK के बाद रोगी को पिछले सिर के क्षेत्र में थोड़ा सा दर्द महसूस हो सकता है। इसके लिए C ( 3, bh, समस्त रीढ़ की हड्डी) करें, जब तक रोगी को आराम न आ जावे ।
चूंकि प्राणशक्ति की खपत की गति काफी तीव्र होती है, अतः अगले कई दिनों तक जरूरत के अनुसार, दिन में दो या तीन बार उपचार करें।
चरण (ख), (ग) तथा (घ) को आवश्यक्तानुसार दिन में कई बार दोहरायें ।
उक्त क्रम २ (घ) के अनुसार
C" 6, C L/E 6 GBV
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