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(च) C5EW - प्लीहा संक्रमण से लड़ता है। शिशुओं, बच्चों और उच्च
रक्तचाप के रोगियों के केस में या तो E बहुत थोड़ा सा करें या बिल्कुल
ही न करें। (छ) C (11, 10, 9 , bh, 8) / E GV (ज) C1 (झ) C(बाहों, पैरों, a, e, H, h, k, sy Eta, e, H, h, k, s) V- यह
प्रतिरक्षात्मक तंत्र को मजबूत करने के लिए है। इस क्रिया को विपरीत प्रक्रिया हो जाने की सम्भावना के कारण, दिन में एक बार से अधिक न करें।
H तथा 5 में प्रेषित की गयी प्राणशक्ति का स्थिरीकरण न करें। (१२) तीव्र एपैन्डिसाइटिस- Acute Appendicitis
6 तथा 4 दोनों प्रभावित होते हैं। 4 बड़ी आंत को (मय एपैन्डिक्स) के नियंत्रित तथा ऊर्जित करता है। एपैन्डिक्स गंदी लाल और गंदी हरी होती है। 6 भी बड़ी आंत (मय एपैन्डिक्स) को प्रभावित और ऊर्जित करता है। इसीलिये शुरू में दर्द एपेन्डिक्स में जाने से पहले सौर जालिका के क्षेत्र पर महसूस होता है। 5 भूरा सा होता है, 1 पर खालीपन (depleted) होता है। पूरा शरीर प्रभावित तथा भूरा सा होता है। (क) GS (कई बार) (ख) C" 6. G, C (L, 4 पेट के क्षेत्र पर और आंत्रपुच्छ पर) G- आंत्रपुच्छ
के C पर विशेष ध्यान दें। (ग) E (6, 4) GBV IC - C 6 भली प्रकार करें, अन्यथा बुखार बढ़
सकता है। (घ) c आंत्रपुच्छ (G~VIE GBV- जब तक कि रोगी को काफी राहत न
मिल जाये। ० के उपयोग से एपैन्डिक्स फट सकता है। (ङ) उक्त क्रम (११) (ङ) के अनुसार करें। (च) c' 51 E Gv - प्लीहा संक्रमण से लड़ता है। शिशुओं, बच्चों और उच्च
रक्तचाप के रोगियों के केस में या तो E बहुत थोड़ा सा करें या बिल्कुल ही न करें।
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