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(ङ) E आंखें (9 के माध्यम से) V (कम B)- प्राण ऊर्जा को आंखों के अन्दर
जाते हुए दृश्यीकृत करें। G, Y तथा V के आपस की क्रिया से आंखों में पुनर्निर्माण तथा शक्ति बढ़ाने की क्रियायें होती हैं तथा B आंखों को
लचीलापन देता है और प्रेषित ऊर्जा का स्थिरीकरण करता हैं (2) c (t, 10, 11, मस्तिष्क, bh, jIG-v (छ) E bh (कम G) V प्राणिक ऊर्जा के अन्दर जाते हुए दृश्यीकृत करें। (ज) E (10, 11, t. j) Gv (झ) यदि रोगी मध्यम या अधिक आयु का है, तो C(8, 7, 6, 4, 1)/ EW-(E
7 को 75 के माध्यम से) (अ) उपचार को सप्ताह में २ या ३ दफे करें। (ट) रोगी को उपचार के दौरान आंख का चश्मा नहीं लगाना चाहिए या कम
लगाना चाहिए, क्योंकि इससे उपचार का प्रभाव नष्ट होता है। (ठ) यदि उक्त उपचार को भलीभांति किया जाये, तो कुछ रोगी तीन माह में ठीक
हो जाते हैं। उपचार की गति रोगी की उम्र, आंखों की हालत तथा उपचारक
की कुशलता पर निर्भर है। (ड) रोगी ठीक होने के पश्चात् आखों का अधिक इस्तेमाल न करे और
समय-समय पर उपचार करवाता रहे, विशेष तौर पर, जब आँखें कमजोर होने
लगें तो। नोट- यदि उक्त क्रिया में Y के स्थान पर गूढ़ पीला (Subtle Yellow) प्राण
अथवा g का प्रयोग किया जाये, तो उत्तम रहेगा। आँखों का संक्रमण- Eye Infection यह दिव्यदर्शन से देखा गया है कि कुछ आंख रोगग्रस्त रोगियों के बाहरी आभा मण्डल में छेद होता है। स्वास्थ्य मंडल प्रभावित हो जाता है और स्वास्थ्य किरणें आपस में उलझ जाती है। कई केसों में शरीर के अन्य भाग भी काफी प्रभावित हो जाते हैं। अक्सर GS द्वारा उपचार की गति तेज हो जाती है
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