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________________ अध्याय – ११ ऊर्जा द्वारा शारीरिक रोगों का उपचार-उन्नत तकनीक तथा रंगीन ऊर्जा द्वारा उपचार आंख, कान और गले की खराबियांDisorders of the Eyes, Ears and Throat संदर्भ : भाग २, अध्याय ७ और भाग ४. अध्याय १४, क्रम संख्या ४ (घ), (ङ) व ६ सामान्य- आंख और कान 11, 10, 9 द्वारा ऊर्जित व नियंत्रित होते हैं। इनके अपने-अपने लघु चक्र होते हैं। बांया (आख व कान) 9 से ज्यादा और दांया (आंख व कान) 10 व 11 से ज्यादा प्रभावित और ऊर्जित होते हैं। bh पूरे सिर को ऊर्जित करता है व आंखों व कानों दोनों को प्रभावित व ऊर्जित करता है। 1 भी आंखों को प्रभावित करता है। j सिर, आंखों व कानों को ऊर्जित करता है। आंखों व कानों की हालत समस्त शरीर की स्वस्थता पर भी निर्भर करती है। मध्यम व वृद्ध रोगियों के लिये T (अन्य चक्र) भी करना चाहिए। उक्त सभी चक्रों की स्थिति चित्र ४.१३ में दर्शायी गयी है। निकट दृष्टिवत्ता. दूर दृष्टिवत्ता, दृष्टि वैषम्य व भैंगापन– Near Sightedness, Far Sightedness, Astigmatism, Cross Eyes and Waill Eyes (क) C9 (ख) c आंखों के चक्र G, यह आंखों की महीन नाड़ियों में रोगग्रस्त तथा इस्तेमाल की हुई ऊर्जा की सफाई के उद्देश्य से है। (ग) E आंखें (कम Y)- इससे रोगग्रस्त तथा इस्तेमाल हुई ऊर्जा को बाहर निकालने में सहायता मिलती है। (घ) C' आंखें
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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